इस डॉक्टर ने आइंस्टीन के मरते ही निकाल लिया था उनका दिमाग, फिर किया ये काम

आज दुनिया के जाने माने वैज्ञानिक एल्बर्ट आइंस्टीन की डेथ ऐनिवर्सिरी है और इस मौके पर हम आपको उनकी जिंदगी से जुड़ा एक ऐसा किस्सा सुनाने जा रहे हैं जिसके बारे में शायद आपने पहले कभी नहीं सुना होगा।

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दरअसल आइंस्टीन बचपन में वैसे नहीं थे जैसे कोई आम बच्चा होता है, वो पढ़ाई में बेहद कमजोर थे और इस चक्कर में उन्हें अपने स्कूल में टीचर्स से काफी कुछ सुनना भी पड़ता था लेकिन आगे चलकर उन्होंने दुनिया को अपनी काबलियत के बल पर हैरान करके रख दिया।

मूर्ख बच्चों में होती थी गिनती

ये बात सुनने में अटपटी लग सकती है लेकिन दुनिया को फिजिक्स  के कई अनसुलझे नियम समझाने वाले आइंस्टीन अपनी क्लास के मूर्ख बच्चों में गिने जाते थे और उनके टीचर उन्हें पसंद नहीं करते थे। दरअसल आइंस्टीन परीक्षा के दौरान ज्यादातर विषयों में फेल हो जाते थे और इसी वजह से हर टीचर उन्हें नापसंद करता था।

मौत के बाद इस डॉक्टर ने चुरा लिया था दिमाग-

जब आइंस्टीन की मौत हुई थी तब डॉ. थॉमस स्टोल्ट्ज हार्वे नामक एक पैथोलॉजिस्ट ने शव परीक्षण के दौरान आइंन्स्टीन का दिमाग चुरा लिया था और किसी को भी इसके बारे में पता तक नहीं चला। दरअसल ये डॉक्टर आइंस्टीन के दिमाग पर परीक्षण करना चाहता था और इसी वजह से उसने शव से दिमाग चुरा लिया।

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आपको बता दें कि इस दिमाग के बारे में 20 साल तक किसी को नहीं पता चला और उसके बाद इस दिमाग पर अध्ययन शुरू किया गया। आपको बता दें कि आइंस्टीन के दिमाग के 200 टुकड़े करके अलग-अलग विज्ञानियों को भेजे गए।

आपको बता दें कि अध्ययन में पता चला कि साधारण लोगों के दिमाग की तुलना में आइंस्टीन के दिमाग में एक असाधारण सेल संरचना थी. इसी कारण आइंस्टीन का दिमाग बहुत असाधारण सोचता था।

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