इस छोटी सी चीज से वास्को डी गामा ने कर ली थी भारत की खोज, आप भी जानें क्या है खास…

पुर्तगाल के खोजी नाविक वास्को डी गामा का वो ‘समुद्री दिशा सूचक’ यंत्र मिल गया है जिसका इस्तेमाल कर वास्को डी गामा ने भारत की खोज की थी। वैज्ञानिकों की मानें तो ये दुनिया का सबसे पुराना एस्ट्रोलेब यानी ‘समुद्री दिशा सूचक’ यंत्र है।

गिनीज व‌र्ल्ड रिका‌र्ड्स के मुताबिक, यह एस्ट्रोलेब अब तक का सबसे पुराना है। पुर्तगाली जहाज अरमाडा के मलबे के पास हुई खुदाई में यह मिला है।

बता दें कि खुदाई के दौरान सन 1498 के जहाज का एक घंटा भी मिला है।

वास्को दी गामा

वैज्ञानिकों ने इस एस्ट्रोलेब की पहचान लेजर इमेजिंग तकनीक से की है। विशेषज्ञों के अनुसार, इस यंत्र को 1496 से 1501 के बीच बनाया गया होगा। माना जा रहा है कि इस यंत्र का नाम सोद्रे है।

प्राचीन समय के पुर्तगाल और स्पेन के खोजी नाविक समुद्री दिशा के ज्ञान के लिए एस्ट्रोलेब का इस्तेमाल किया करते थे। इस यंत्र को अब तक का सबसे अनोखा ‘समुद्री दिशा सूचक’ यंत्र बताया जा रहा।

ब्रिटेन की वारविक यूनिवर्सिटी के मुताबिक, जहाजों के मलबों से इनकी खोज करना अपने आप में दुर्लभ है।

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वैज्ञानिकों के मुताबिक, 1481 में अफ्रीका के पश्चिमी तट की ओर समुद्री यात्रा करने वाले पुर्तगालियों ने सबसे पहले इसका इस्तेमाल किया था।

बता दें कि सोद्रे एस्ट्रोलोब 175 मिलीमीटर के व्यास वाला ‘समुद्री दिशा सूचक’ है जिसका वजन 344 ग्राम है।

इसपर पुर्तगाल का राष्ट्रीय चिन्ह बना हुआ है। इस यंत्र की मदद से पता किया जा सकता है कि इस तरह प्राचीन समय में यात्री इस तरह समुद्र जहाज से यात्रा किया करते थे।

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