
देश की सेवा करने की चाहत दिल में लिए भारत के कोने कोने से जवान सेना में भर्ती होते हैं। इन्हें अपनी जान की परवाह नहीं होती है। जिंदगी की बाजी लगाकर ये वीर सपूत मातृभूमि की सेवा अंतिम सांस तक करते हैं।
जैसा कि हम जानते हैं कि हर धर्म,समुदाय और जाति के लोग सेना में जाकर अपने प्राणों की आहुति दे देते हैं, लेकिन आज हम आपको उस एक गांव के बारे में बताने जा रहे हैं जिनका सेना से करीब 300 साल पुराना रिश्ता है।
हम यहां आंध्र प्रदेश के माधवरम गांव की बात कर रहे हैं। सैन्य विरासत और शहादत के चलते इस गांव को लोगों के सामने लाने की आवश्यकता है।
गोदावरी जिले में स्थित माधवरम गांव की सबसे बड़ी खासियत है कि यहां के हर घर के किसी न किसी सदस्य का संबंध सेना से है और यह रिश्ता करीब 300 साल पुराना है।
गांव के लोगों का सेना से इस हद तक लगाव है कि यहां लोगों को सेना के पदों जैसे सूबेदार, मेजर, कैप्टन जैसे नामों से संबोधित किया जाता है और इन्हीं पदों के आधार पर बच्चों के भी नाम रखे जाते हैं।
हर किसी की अपनी कहानी है जिसे वे बड़े ही गर्व से बताते हैं।
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अब जरा बात करते हैं माधवरम गांव के इतिहास की जो कि वाकई में बेहद दिलचस्प है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, 17वीं शताब्दी में गजपति राजवंश के राजा माधव वर्मा का यह गांव सैनिकों का ठिकाना हुआ करता है।
अब जाहिर सी बात है कि उस दौरान कई सैनिकों को यहां लाकर बसाया गया। किले से लेकर हथियारों तक का जखीरा माधवरम गांव में लाया जाता था।