हाईटेक प्लानिंग से नकल कराने की थी तैयारी, ऐन वक्त पर जीआरपी ने फेरा पानी   

इलाहाबाद में नकलइलाहबाद। नकल माफियाओं के एक गिरोह का भंडाफोड़ हो गया। हाईकोर्ट की समीक्षा अधिकारी परिक्षा में बड़े ही हाईटेक ढंग से नकल की प्लानिंग की गयी थी। इलाहाबाद में नकल माफिया के इस गिरोह के कुछ मोहरे पुलिस के हत्थे चढ़ गए। पूछताछ के दौरान जब पूरे मामले का खुलासा हुआ तो सब असलियत जानकर बेहद ही दंग थे। नकल कराने के लिए पहले से पूरी टीम तैयार की गयी थी। हथियारों के तौर पर यहां ब्लूटूथ, ट्रांसमिशन, जीपीएस डिवाइस का इस्तेमाल किया जाना था। इन सब चीजों को बड़े ही गुप्त तरीके से गिरोह में साथ देने वालों ने छिपा रखा था। इन डिवाइज के जरिए गिरोह के सभी लोग एक दूसरे से तालमेल बिठाए हुए थे।

इलाहाबाद में नकल

आरओ परीक्षा में इनविजलेटर बनकर नकल कराने निकले शातिरों को जीआरपी ने परीक्षा से एक दिन पूर्व शनिवार रात को ही अरेस्ट कर लिया था। लेकिन खुलासा सोमवार को किया गया।

जीआरपी पुलिस के मुताबिक शनिवार को गेट नम्बर तीन पर कुछ सिपाहियों की डयूटी लगी थी। इस दौरान चेकिंग टीम के अकबर खान, सतपाल बिंद, हरिशचन्द्र भास्कर को गेट नम्बर तीन पर कुछ युवक संदिग्ध स्थिति में नजर आए।

इन्हें थाने ले जाकर पूछताछ की गई तो सभी ने खुद को प्रतियोगी छात्र बताया। लेकिन थोड़ा सा टाइट किया तो असलियत बयां कर दी। इसके बाद पुलिस टीम एक्शन में आ गयी।

इलाहाबाद में नकल मामले की जानकारी रेलवे क्राइम ब्रांच को दी गई। संयुक्त रूप से छापेमारी करते हुए स्टेशन के निकट होटल व लाज से नकल माफिया गिरोह के धीरज कुमार मुंगेर, सुनील कुमार गाजीपुर, श्याम लाल वर्मा बस्ती, पवन कुमार निवासी फतेहपुर, धनश्याम गौड़ निवासी गोरखपुर, धनंजय सिंह निवासी धाता, अमन सिंह निवासी मंझनपुर, योगेन्द्र यादव दुल्हापुर सहित कुल 18 लोगों को अरेस्ट कर लिया गया।

जीआरपी पुलिस ने इलाहाबाद में नकल माफिया गिरोह का भंडाफोड़ करते हुए बताया कि गिरोह के मुख्य सदस्य राधे श्याम व राजीव सिंह ने व्हाट्सएप पर एक ग्रुप भी बनाया था।

इस ग्रुप को उसने ‘कोर्ट ग्रुप’ का नाम दिया था। इस ग्रुप के जरिए उसने ऐसे सदस्यों को जोड़ा था, जिन्हें एग्जाम के दौरान कक्ष निरीक्षक की भूमिका निभानी थी। सरगना राधे श्याम पाण्डेय और राजीव सिंह फरार हैं। उनकी तलाश की जा रही है।

पूछताछ में पता चला है कि मुख्य आरोपी राधे श्याम पाण्डेय पुत्र अनिल पाण्डेय निवासी चकिया बहुमलपुर थाना थरवई का रहने वाला है।

इससे पूर्व में हुई हाईकोर्ट की एआरओ की परीक्षा में नकल कराने के नाम पर जेल जा चुका है। वह प्राची कोचिंग का संचालक भी है।

कोचिंग में पढ़ने वाले छात्रों को नौकरी दिलाने और इनविजलेटर बनाने के नाम पर फंसाता था। इस बार भी उसने कुछ ऐसा की काम किया।

उसने दर्जनों प्रतियोगी छात्रों से नौकरी दिलाने के नाम पर एडवांस में पचास-पचास हजार रुपए लिया था। बाकी की रकम नौकरी लगने के बाद देना था।

हर एक युवक ने नौकरी दिलाने के नाम पर पाच लाख रुपए में कई छात्रों से सौदा तय किया गया था।

मामले में 11 फर्जी आधार कार्ड, नौ मोबाइल फोन, आठ जीपीएस डिवाइस मास्टर कार्ड, नौ माइक्रो ईयर फोन, नए सिम कार्ड, जीपीएस लगी बनियान, चेक बुक, पास बुक और एक कार बरामद की गई है।

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