आज़म खान की जौहर यूनिवर्सिटी पर कसा प्रशासन का शिकंजा, सरकारी चकरोड की पैमाइश का काम शुरू

REPORT:- Faheem Khan/Rampur

यूपी के रामपुर में सपा नेता आज़म खान की जौहर यूनिवर्सिटी पर लगातार प्रशासन का चाबुक चल रहा है राजस्व परिषद इलाहाबाद में जौहर ट्रस्ट की याचिका खारिज होने के बाद बाद रामपुर प्रशासन हरकत में आ गया है. आज जौहर यूनिवर्सिटी में सरकारी चकरोड की पैमाइश का काम शुरू हो गया है. बता दें कि कुछ दिन पहले ही प्रशासन ने आलिया गंज गांव के 26 किसानों को जमीन पर कब्जा दिलवाया था.

वहीं, अब ग्राम समाज की चकरोड भी खाली करवाई जाएगी. दरअसल, किसानों की जमीन पर जाने का रास्ता नहीं था. आज प्रशासन ने किसानों की जमीन पर जाने के लिए चकरोड की पैमाइश भी शुरू कर दी है.

रामपुर

वहीँ एसडीएम प्रेम प्रकाश तिवारी ने बताया की हमारे करीब 11 चकरोड और रास्ते के नाम से सरकारी अभिलेखों में करीब 17 बीघा जमीन दर्ज थी. जो 132 सार्वजनिक उपयोग की लैंड थी. जिसको अविधिक तरीके से चेंज कर यूनिवर्सिटी में मिला लिया गया. उसमें यूनिवर्सिटी के भवन भी बन गए है इसमें मेडिकल की एक बिल्डिंग भी आ रही है।

यह था पूरा मामला-

दरअसल, 20 सितंबर 2017 को भाजपा नेता आकाश सक्सेना की मुख्यमंत्री से की गई शिकायत पर तत्कालीन जिलाधिकारी शिव सहाय अवस्थी ने राजस्व बोर्ड परिषद इलाहाबाद में चार वाद दायर करवाए थे. दायर वादों में आकाश सक्सेना को निगरानी कर्ता के साथ-साथ वाद की पैरवी के लिए व्यक्तिगत एडवोकेट अपने खर्चे पर लड़ने की अनुमति प्रदान की गई थी.

3 अगस्त 2018 को राजस्व बोर्ड परिषद इलाहाबाद द्वारा वाद चलाने की अनुमति प्रदान की गई.20 अगस्त 2018 को राजस्व बोर्ड परिषद के इस आदेश के विरुद्ध आजम खान ने उच्च न्यायालय इलाहाबाद में याचिका दायर की. जिसमें आजम खान ने जिलाधिकारी के साथ-साथ आकाश सक्सेना को भी प्रतिवादी बनाया. 26 अगस्त 2018 को उच्च न्यायालय ने राजस्व बोर्ड परिषद के उक्त फैसले को सही ठहराते हुए आजम खान की याचिका को खारिज कर दिया.

महाराष्ट्रः बगैर अनुमति CAA के खिलाफ किया प्रोटेस्ट, 37 के खिलाफ हुई FIR

23 जनवरी 2019 को राजस्व बोर्ड इलाहाबाद ने अपना फैसला सुनाते हुए उक्त वाद मुरादाबाद कमिश्नर को 4 सप्ताह के अंदर निस्तारण करने का आदेश दिया था. जिसके बाद कमिश्नर मुरादाबाद ने अपना फैसला लिया और एसडीएम द्वारा जौहर विश्वविद्यालय को दी गई सरकारी चकरोड के आदेश को निरस्त किया. साथ ही तत्कालीन लेखपाल के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए. जिसके बाद जौहर ट्रस्ट ने दूसरी अपील राजस्व परिषद के सामने की थी. जिस 24 जनवरी 2020 को खारिज कर दिया गया.

LIVE TV