आलियागंज में जश्न का माहौल, आज़म खाँन से कब्ज़ा मुक्त हुई 26 किसानों की जमीनें

Report- Rampur/Faheem Khan

जौहर यूनिवर्सिटी से सटे गाँव आलिया गंज में किसानों में जश्न का माहौल था, ढोल की थाप पर नाचे किसानों के बच्चें, फैसल लाला और अब्दुल सलाम को मिठाई खिलाकर ख़ुशी का इज़हार किया और ज़िला प्रशासन का आभार व्यक्त किया।

आलियागंज में जश्न

बता दें कि लगभग 15 साल पहले साल 2005 में आलिया गंज के किसानों की ज़मीनों पर पूर्व मंत्री आज़म खान ने नाजायज़ कब्ज़ा कर लिया था और उन किसानों की ज़मीने जौहर यूनिवर्सिटी के अंदर कैद कर ली थीं तब ही से गरीब किसान यूनिवर्सिटी के बाहर से अपनी ज़मीनों को देखते और अपना दिल मसोस लेते थे.

 

क्योंकि जब भी कोई किसान अपनी ज़मीन पर जाने की कोशिश करता था तो आज़म खान और तत्कालीन सीओ सिटी आले हसन किसानों को मारते पीटते थे और झूठे मुकदमें लगाकर उन्हें जेल में डाल देते थे।

लंबे समय तक हाफ़िज़ अब्दुल सलाम और फैसल लाला ने किसानों को इंसाफ दिलाने के लिए संघर्ष किया कई बार उच्च अधिकारियों से लेकर सूबे के तत्कालीन राज्यपाल राम नाईक से भी मुलाकात की थी यहां तक की अब्दुल सलाम को किसानों की आवाज़ उठाने पर साल 2016 में जेल में भी डाल दिया गया था।

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सूबे में जैसे ही सपा की सरकार बदली तो फैसल लाला और अब्दुल सलाम ने किसानों की अगुवाई की और किसानों ने आज़म और आले हसन के खिलाफ मुकदमें दर्ज कराए थे। किसान लगातार 15 साल से अपनी ज़मीनें वापस लेने को संघर्ष कर रहे थे ज़िला प्रशासन ने अब आकर किसानों की ज़मीन को चिन्हित करके किसानों को कब्ज़ा दिलाया है। लंबे समय के बाद अपने पूर्वजों की ज़मीन वापस मिली।

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अब्दुल सलाम और फैसल लाला ने इसे इंसाफ की जीत बताते हुए कहा कि आज़म खान ने सपा की हुकूमत में गरीबों पर बहुत ज़ुल्म किये थे ज़मीने किसानों के नाम पर थी और कब्ज़ा आज़म खान का था इसी तरह यतीमों की ज़मीन पर भी आज़म खान ने कब्ज़ा किया है अब धीरे धीरे लोगों को इंसाफ मिलना शुरू हुआ है बहुत जल्द यतीमों की जगह भी आज़म से कब्ज़ा मुक्त होगी और तमाम शहर के कामज़रो को इंसाफ दिलाया जाएगा।

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