आयुर्वेदिक उद्योग के लिए जल्द बनेगा केंद्रीय अधिनियम, झूठे दावों की भी निकल सकती है हवा

आयुर्वेदिककोलकाता। आयुष मंत्रालय आयुर्वेदिक उद्योगों के लिए एक केंद्रीय अधिनियम का ढांचा तैयार करने की योजना बना रहा है। एक अधिकारी ने रविवार को यह बात कही। मंत्रालय के आयुर्वेद के सलाहकार डी.सी. कटोच ने कहा, “फिलहाल सबकुछ लागू करना लाइसेंस जारी करने वाले राज्य के अधिकारियों के साथ में है। हमलोग केंद्र में कुछ नियंत्रण करने का ढांचा तैयार करने जा रहे हैं, ताकि व्यवस्थापन और गुणवत्ता नियंत्रण से जुड़े बहुत सारे मुद्दों को राज्यस्तर के अधिकारियों के समक्ष उठाया जा सके।”

उन्होंने कहा, “यदि लाइसेंस पहली बार लिया जाना है तो प्रस्ताव केंद्र में आना चाहिए। केंद्रीय तकनीकी समिति उस प्रस्ताव की समीक्षा करेगी और उसी के अनुसार लाइसेंस जारी किया जाना चाहिए।”

यहां आरोग्य एक्सपो एवं सातवें विश्व आयुर्वेदिक सम्मेलन में भाग लेने आए कटोच ने कहा, “मंत्रालय विज्ञापनों के जरिए झूठे दावों को रोकने के लिए भी कदम उठाने पर विचार कर रहा है।” मंत्रालय आयुर्वेदिक उद्योग के लघु एवं मध्यम उपक्रमों को सुविधा देने के लिए और क्लस्टर्स स्थापित करने के बारे में सोच रहा है।

उन्होंने कहा, “क्लस्टर्स स्थापित करने का काम पहले शुरू किया गया था। राज्यों में 5-6 क्लस्टर्स काम कर रहे हैं। मंत्रालय और क्लस्टर्स स्थापित करने के प्रस्तावों पर विचार कर रहा है।” उन्होंने यह भी कहा कि सरकार परियोजना खर्च का 60 प्रतिशत सहायता दे रही है, जबकि उद्यमी को उसकी लागत का 40 प्रतिशत देना है।

आयुर्वेदिक इलाज करने वाले जिन शब्दावली का इस्तेमाल करते हैं, मंत्रालय ने उनका मानकीकरण करने के लिए पहल किया है। कटोच ने कहा, “आयुर्वेद साहित्य में बहुत सारी पुस्तकें हैं और उनमें खासकर इलाज के लिए बहुत सारे पारिभाषिक शब्दों का इस्तेमाल किया जाता है। इस वजह से इसमें शामिल लोग आसानी से उन्हें समझ नहीं पाते। आयुर्वेद को विश्व स्तर पर समझने के लिए इन शब्दों के अर्थ का मानकीकरण करना होगा।”

मंत्रालय ने विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ आयुर्वेद को वैश्विक स्थान दिलाने के लिए कुछ दस्तावेज तैयार करने का एक करार किया है। उन्होंने कहा कि मंत्रालय आयुर्वेद की मंडियां स्थापित करने की सुविधा देने के लिए योजना तैयार कर रही है।

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