आयकर विभाग की छापेमारियों में यह रिकॉर्डिंग आई सामने, मचा हड़कंप

लोकसभा चुनाव से पूर्व मध्यप्रदेश में आयकर विभाग की छापेमारियों के मामले में नई बात सामने आ रही है। मुख्यमंत्री कमलनाथ के करीबियों के लिए बढ़ रही मुश्किलों के बीच अब सीएम और उनके ओएसडी के बीच की बातचीत की रिकॉर्डिंग सामने आ रही है, जिसके आधार पर करोड़ों रुपये के लेन-देन का आरोप लगाया जा रहा है। तुगलक रोड स्थित निवास से हुई फोन की रिकॉर्डिंग और बातचीत के अंश मीडिया में बाहर आए हैं, जिसमें कथित तौर पर पैसों के कलेक्शन और ट्रांसफर के लेन-देन का जिक्र है।
आयकर विभाग

मीडिया में आई इस बातचीत को लेकर यह दावा किया जा रहा है कि यह आयकर विभाग के पास मौजूद दस्तावेजों पर आधारित है। साथ ही यह मुख्यमंत्री और उनके ओएसडी प्रवीण कक्कड़ के बीच हुई बातचीत से जुड़ी है। आयकर विभाग के पास मौजूद दस्तावेजों में उम्मीदवारों को करोड़ों रुपये भेजे जाने के सबूत भी हैं। टीवी न्यूज चैनल टाइम्स नाऊ ने मुख्यमंत्री कमलनाथ और उनके ओएसडी के बीच हुई बातचीत को ट्वीट भी किया है।

पहले पढ़िए, सीएम कमलनाथ और ओएसडी के बीच कथित बातचीत के अंश

सीएम- जो मैंने कहा था कि भेज दीजिए इसको…या दिल्ली वाले को…हां, क्या नाम था प्रकाश?…वो अभी भेजा नहीं आपने।
ओएसडी- सर, प्रकाश से बात हो गई थी हिमांशु की। तो बोल रहा था कि मैं ले जाऊंगा।

सीएम- लेकिन तीन दिन में हिमांशु को भेजा नहीं आपने?
ओएसडी- नहीं सर, अभी हिमांशु के पास ही पड़ा है। अभी ट्रांसफर रुका है तो…आज चला जाएगा। सोमवार को। बाकी कल हिमांशु की प्रकाश से बात हो गई थी। प्रकाश ने कल के लिए बोला। अभी हिमांशु से बात हुई। उसने बोला..1.30 बजे प्रकाश आ रहे हैं।

सीएम- आप भेज दीजिए हिमांशु को।
ओएसडी- कल 10 भेजू या 5 भेजूं।
सीएम – 10 भेज दीजिए।
ओएसडी – ठीक है सर, कल 10 भेज देता हूं।

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सीएम – अभी तो पिछले 5-7 दिनों में तो नहीं भेजना न? हिमांशु को कुछ कहा…
ओएसडी – नहीं सर, पिछले 10-12 दिन पहले मैंने भेजा है।
सीएम – ठीक है, कल हिमांशु को बोलना तुम्हें लेटेस्ट स्टेटमेंट भेज दे।

ओएसडी – दूसरी बात हुई मोहित से, जेवी वाले डिपार्टमेंट का है कोई…वो वाला भी दो दिन में आ जाएगा। मोहित से बात हुई थी कि कल करवा दूंगा। हिमांशु का नंबर भेज रहा हूं।
सीएम – ठीक है।
ओएसडी – कल कुछ स्टेटमेंट भेज रहे हो।
सीएम – हिमांशु वाला, करेक्ट..

सीएम – प्रवीण मैं सौरभ के साथ बैठा हूं जो कटनी से विधायक थे। कह रहे हैं कि माइनिंग वाले और ट्रांसपोर्ट वाले बीजेपी की मदद कर रहे हैं। मैंने सौरभ को कहा है कि वो नाम दे देगा, जिन्हें आपको टाइट करना है।
ओएसडी – बिलकुल सर।

सीएम – ये माइनिंग और ट्रांसपोर्ट वाले को कह दो कि अगर चुनाव वहां से हारेंगे तो आप अपना बोरिया बिस्तर बांध लेना?
ओएसडी – बिलकुल 100 फीसदी सर।
सीएम – कटनी में ऐसा नहीं चलेगा। सौरभ से कहूंगा कि वो तुम्हें कोआर्डिनेट कर ले…इतना कह देना कि माइनिंग-ट्रांसपोर्ट के कारण हारते हैं। रिजल्ट लेकर आएं नहीं तो सामान पैक कर लें।
ओएसडी – मैसेज डाल दिया है कि आठ हुए हैं सर, उसके पास उतना ही है, बाकी हवाले वाले 2-3 दिनों से बंद हैं। अपने पास नेवेन्यू कंपनी का रेड्डी साब की तरफ से जो आएगा, जैसे भेजेंगे करा देंगें। आठ का आज करा देंगे।

कमलनाथ बोले- आयकर विभाग के सारे बयान फर्जी

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि आयकर विभाग के सारे बयान फर्जी हैं। वे खुद बयान देते हैं। वे खुद इसे मीडिया को देते हैं। वे राजनीतिक खेल खेल रहे हैं, तो अच्छा है, इस राजनीतिक खेल का कोई अंत थोड़े ही होने वाला है।
आयकर विभाग की जांच और उसके दस्तावेजों के आधार पर इस रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि लोकसभा चुनाव में 11 प्रत्याशियों को 25 लाख रुपये से लेकर 50 लाख रुपये तक मोटी रकम भेजी गई। दस्तावेजों में आरके मिगलानी, प्रवीण कक्कड़ और ललित कुमार छजलानी के नामों का जिक्र है। आरोप है कि यह पैसा मध्यप्रदेश के उम्मीदवारों के पास आए हैं, जिनमें कमलनाथ के पांच करीबी सहयोगी हैं।

आयकर विभाग के दस्तावेजों के अनुसार अकेले दिग्विजय सिंह को ही 90 लाख रुपये मिले। वहीं भुगतान से जुड़ी रसीदें महज दो मामलों में मिली हैं। पहली सतना से राजाराम प्रजापति और दूसरी बालाघाट से मधु भगत। इस मामले पर चुनाव आयोग का कहना है कि लोकसभा चुनाव के दौरान प्रत्याशियों ने जो खर्च किया है, उसका लेखा-जोखा जून के आखिर तक आ जाएगा, इसके बाद कोई कार्रवाई की जाएगी।

जिन अन्य लोकसभा प्रत्याशियों को फंड मिलने का आरोप हैं, उनमें मंदसौर से मीनाक्षी नटराजन, मंडला से कमल माडवी, शहडोल से प्रमिला सिंह, सिद्धि से अजय सिंह राहुल, भिंड से देवाशीष जरारिया, होशंगाबाद से शैलेंद्र सिंह दीवान, खजुराहो से कविता सिंह नटिराजा और दामोह से प्रताप सिंह लोधी शामिल हैं। वहीं विधानसभा चुनाव में फंडिंग के मामले में आयकर विभाग का निष्कर्ष ये है कि एक समूह द्वारा 17.9 करोड़ रुपये की रकम 87 प्रत्याशियों को दी गई थी, जिनमें से 40 को जीत मिली।

आयकर विभाग की जांच के अनुसार दावा है कि परिवहन विभाग के नाम पर 54.45 करोड़, एक्साइज विभाग के नाम पर 36.62 करोड़, खनन विभाग के नाम पर 5.50 करोड़, लोक निर्माण विभाग के नाम पर 5.20 करोड़ और सिंचाई विभाग के नाम पर चार करोड़ रुपये कथित तौर पर ऑल इंडिया कांग्रेस कमिटी को ट्रांसफर किए गए। वहीं चलानी के फोन से मिले सबूतों से पता चलता है कि 17 करोड़ रुपये कथित तौर पर ऑल इंडिया कांग्रेस कमिटी को ट्रांसफर किए गए थे। इन पैसों का इस्तेमाल लोकसभा चुनाव में होना था। चेलानी के कंप्यूटर से जानकारी सामने आई है।

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