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पटना| बिहार में विपक्ष जहां राज्य में आपराधिक घटनाओं में बढ़ोतरी को लेकर सत्ताधारी दल पर हमलावर है, वहीं त्वरित सुनवाई के आंकड़े भी इसकी पुष्टि करते हैं कि सरकार की अपराधियों पर अंकुश लगाने की प्राथमिकताएं बदल गई हैं।

आपराधिक

आपराधिक घटनाओं पर लगाम…

वर्ष 2010 में जहां त्वरित सुवाई के जरिए 14 हजार से ज्यादा अपराधियों को सजा दिलाई गई थी, वहीं पिछले वर्ष मात्र 4,513 अपराधियों को सजा ही त्वरित सुनवाई के द्वारा दिलाया जा सका।

राज्य में आपराधिक घटनाओं में कमी लाने और अपराधियों पर लगाम लगाने के लिए वर्ष 2006 में सरकार द्वारा त्वरित सुनवाई (स्पीडी ट्रायल) कर अपराधियों को सजा दिलाने का अभियान शुरू किया गया था।

राज्य में त्वरित सुनवाई के माध्यम से अदातत द्वारा अब तक 98,500 से ज्यादा अपराधियों को सजा दिलाई जा चुकी है, लेकिन आंकड़े इसकी ताकीद करते हैं कि वर्ष 2010 के बाद से इस अभियान के जरिए अपराधियों की सजा दिलवाने की रफ्तार में गिरावट दर्ज की गई है।

आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2006 में 6,839 लोगों को त्वरित सुनवाई के जरिए सजा दिलाई गई थी। वर्ष 2006 के बाद इस अभियान को गति मिली और सजा पाने वाले अपराधियों की संख्या में भी बढ़ोतरी दर्ज की गई।

वर्ष 2010 में त्वरित सुनवाई के माध्यम से अदालत द्वारा 14,311 लोगों को अपराधी साबित कर सजा मुकर्रर कराई गई थी, मगर इसके बाद त्वरित सुनवाई के मामले में गिरावट दर्ज की गई।

आंकड़ों पर गौर करें तो 2012 में त्वरित सुनवाई के जरिए 10,346 अपराधियों को सजा दिलाई गई, जबकि 2013 में मात्र 9,078 लोगों को ही त्वरित सुनवाई के जरिए सजा दिलाई जा सकी।

राज्य के पूर्व पुलिस महानिदेशक नीलमणि कहते हैं कि अपराधियों और आपराधिक घटनाओं में अंकुश लगाने के लिए स्पीडी ट्रायल एक अच्छा हथियार है। इससे अपराधियों के मन में कानून के प्रति डर पैदा किया जा सकता है तथा पीड़ित परिवार को भी जल्द ही न्याय दिया जा सकता है।

आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2014 में 5,074 लोगों को त्वरित सुनवाई के माध्यम से सजा दिलाई गई, जबकि वर्ष 2015 में मात्र 4,513 लोगों को अपराधी घोषित कर सजा दिलाई गई।

सरकार ने हालांकि कुछ दिन पूर्व त्वरित सुनवाई के मामले में तेजी लाने के लिए सभी प्रक्षेत्र के पुलिस उपमहानिरीक्षकों को जिम्मा सौंपा है।

पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी कहते हैं कि पिछले दिनों मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने स्पीडी ट्रायल की रफ्तार धीमी होने पर नाराजगी जताई थी। पुलिस अधिकारियों और अभियोजन पदाधिकारियों की हाल में हुई एक कार्यशाला में मुख्यमंत्री ने पुलिस मुख्यालय को इसमें तेजी लाने का निर्देश दिया था।

गौरतलब है कि बिहार ने त्वरित सुनवाई के जरिए अपराधियों को सजा दिलाने में देश के सामने मिशाल पेश की थी। गया में एक जापानी महिला पर्यटक के साथ दुष्कर्म की घटना में एक पखवाड़े के अंदर ही अपराधियों को अदालत द्वारा सजा दिलाई गई थी।

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