गैंगस्टर आनंदपाल को मारकर इन बड़े सवालों में घिरी वसुंधरा सरकार

गैंगस्टर आनंदपालजयपुर। राजस्थान में गैंगस्टर आनंदपाल सिंह के एनकाउटंर पर बड़ा सवाल खड़ा हो रहा है. समर्थकों और परिवार वालों ने पुलिस पर फर्जी एनकाउटंर का आरोप लगाया है. आरोप है कि पुलिस ने पहले आनंदपाल का सरेंडर कराया और फिर गोली मार दी. लेकिन आनंदपाल का एनकाउटंर सोहराबुद्दीन और दारासिंह की तरह सुनसान इलाक़े में नहीं किया गया. जयपुर-बीकानेर हाइवे पर मालासर गांव में एक मकान को घेरकर एनकाउंटर किया गया था.

ढ़ाई घंटे पुलिस और आनंदपाल के बीच मुठभेड़

रात नौ बजे से साढ़े 11 बजे तक, ढाई घंटे पुलिस और आनंदपाल के बीच मुठभेड़ चली. जाहिर है गांव के लोगों ने भी इस मुठभेड़ को रात में देखा होगा. अगर देख नहीं पाए तो गोलियों के धमाके की आवाज तो सुनी ही होगी. क्योंकि पुलिस के मुताबिक करीब 150 राउंड गोलियां चलाई गईं.

दावा है कि 100 राउंड से ज्यादा फायर तो आनंदपाल ने ही किए. चलिए गोलियों की आवाज भी नहीं सुनी तो फिर एनकाउटंर टीम के आनंदपाल को सरेंडर करने के लिए सौ दफा लगाई आवाज को तो सुना ही होगी.

लेकिन दूसरा पक्ष भी है कि आनंदपाल छत के उपर खड़ा था. उसके हाथ में दो एके 47 राइफल थी, वो लगातार फायरिंग कर रहा था. मकान के चारों तरफ खुला मैदान था. खुले में एसओजी की टीम खड़ी थी.

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समर्थक सवाल उठा रहे है कि ऐसा कैसे हो सकता है कि आनंदपाल ऊपर खड़ा हो और नीचे एसओजी की टीम सुरक्षित रहे. लेकिन एसओजी का भी जवाब है कि अमावस की काली रात थी. आनंदपाल के लिए टीम को देखना मुश्किल था. फिर दो जवान उसकी गोली से जख्मी भी हुए.

समर्थकों ने दूसरा सवाल एसओजी के आनंदपाल की आइने में परछाई देखकर मार गिराने पर सवाल उठाया. कहा काली रात के अंधेरे में आइने में कैसे देखा?

दारासिंह इनकाउटंर केस के बाद एसओजी नहीं रहा यकीन

अब सवाल ये कि दूध का दूध और पानी कैसे होगा. एसओजी के इनकाउटंर के इस दावे की सच्चाई का खुलासा गांव के लोग और हाइवे पर उस दौरान गुजरने वाले आसानी से कर सकते है या फिर खुद एसओजी के पास ऐसे सबूत हो.

लेकिन कथित तौर पर एसओजी की साख पहले से दागदार है. जाहिर है प्रदर्शनकारियों को यकीन कैसे होगा. क्योंकि दारासिंह इनकाउटंर केस में एसओजी ने इनकाउटर की जो कहानी गढ़ी थी. जिस तरह से दारासिंह को गोली मारने के बाद उसकी बॉडी दूसरी ले जाकर इनकाउटंर दिखाया था.

जांच के बाद ये इनकाउटंर फर्जी निकला औऱ अफसरों को जेल जाना पड़ा. उसमें भी छोटे अफसर ही नहीं राजस्थान के तत्कालीन एडिशनल डीजीपी एके जैन और एसओजी के तत्कालीन मुखिया पुन्नुचामी भी शामिल थे. मंत्री राजेंद्र राठौड़ को भी दारासिंह की फर्जी मुठभेड़ की साजिश में जेल जाना पड़ा था. लेकिन बाद में वे बरी हो गए थे.

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