आतंकी हमलों से परेशान है हजारा समुदाय, इमरान खान से मांगी मदद

नई दिल्ली : पाकिस्तान के अशांत क्वेटा शहर में शुक्रवार तड़के एक सब्जी व फल बाजार में हुए आत्घाती हमले में 19 लोगों की मौत हो गई थी और 48 लोग घायल हुए थे।
जहां  मारे गए 19 लोगों में से आठ लोग शिया हजारा समुदाय के थे। वहीं हमले के तीन दिन बाद भी इस समुदाय के लोग धरने पर बैठे हैं। ये लोग मांग कर रहे हैं कि प्रधानमंत्री इमरान खान क्वेटा आएं और उन्हें सुरक्षा का आश्वासन दें।

बता  दें  की  इस बम धमाके के बाद शहर को हाईवे से जोड़ने वाला पश्चिमी बाइपास सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए बंद कर दिया गया है। यहां के लोग खुद को बिलकुल सुरक्षित महसूस नहीं कर पा रहे हैं। जहां ये लोग प्रदर्शन कर रहे हैं, वहां भी भारी सुरक्षा बल तैनात किया गया हैं।

वहीं प्रदर्शनकारियों का प्रतिनिधित्व करते हुए वकील ताहिर हजारा ने सरकार के प्रति चिंता प्रकट की। उनका कहना है कि इतना बड़ा हमला होने के बाद भी प्रधानमंत्री इमरान खान के पास क्वेटा आने का समय नहीं है।

खबरों के मुताबिक ताहिर का कहना है कि सरकार उनकी (हजारा समुदाय) की जान बचाने में नाकाम रही है। आतंकवादी क्वेटा में हजारा समुदाय को लगातार निशाना बना रहे हैं। उन्होंने आगे कहा, “बीते 10 सालों में हमने अपने सैकड़ों प्रियजनों को खो दिया है।

ताहिर का कहना  है कि संसद ने आम सहमति से नेशनल एक्शन प्लान (एनएपी) तैयार किया था, लेकिन अभी भी उसके कई बिंदु लागू नहीं हुए हैं। ऐसा इस कारण से था कि हजारा समुदाय को लगातार आतंकी निशाना बना रहे हैं। प्रधानमंत्री इमरान खान को एनएपी पूरी तरह लागू हो, ये सुनिश्चित करना चाहिए।

यहां प्रदर्शनकारियों ने आतंकी हमलों से बचाने में एजेंसियों के फेल होने पर अधिकारियों के खिलाफ नारेबाजी की। इन लोगों का कहना है कि जब तक उनकी सारी मांगें नहीं मान ली जातीं, तब तक वह प्रदर्शन करना जारी रखेंगे। यहां राजनीतिक दल मजलिस वहादत ए मुस्लमीन के कार्यकर्ता भी हजारा समुदाय के इस धरने में शामिल हो गए हैं।

इस पार्टी के महासचिव अल्लामा राजा नासिर अब्बास का कहना है कि हजारा समुदाय पर होने वाले आतंकी हमलों से दुनिया में ये संदेश जाता है कि पाकिस्तान सुरक्षित नहीं है। अब्बास ने ये भी कहा कि क्वेटा में कोई भी सुरक्षित नहीं है।

दरअसल उनका कहना हैं  की ऐसा होने से सरकार की क्षमताओं पर सवाल खड़े होते हैं। सरकार को अब देरी नहीं करनी चाहिए। क्योंकि लोग अपने प्रियजनों के ताबूत उठाते उठाते थक चुके हैं। बता दें पाकिस्तान में हजारा समुदाय पर पहले भी कई बार हमले हो चुके हैं।

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