आतंक के साथ नहीं खड़े होंगे योगी, चाहें हो हिन्दू या मुस्लिम

आतंकी ने योगी से मदद मांगीनई दिल्ली : योगी आदित्यनाथ भले ही यूपी के सीएम बन गए हों. और वह पूरी तत्परता से समाज के कल्याण के कार्यों में जुट गए हों. लेकिन एक बार फिर उनके बीते दिनों की काली छाया उन पर पड़ गई है. एक आतंकी ने योगी से मदद मांगी थी. खबर आई है कि योगी से अजमेर शरीफ ब्लास्ट केस के दोषी ने हथियारों के लिए संपर्क किया था.

अजमेर शरीफ ब्लास्ट के दोषी सुनील जोशी कभी योगी से मदद मांगने आया था. लेकिन उन्होंने उस दोषी में कोई इंटरेस्ट नहीं दिखाया.

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साल 2006 में सुनील, योगी से गोरखपुर में मिला था. इस मुलाकात में सुनील ने योगी से कथित तौर पर सिम कार्ड्स और हथियारों का इंतजाम करने के लिए कहा था.

आतंकी ने योगी से मदद मांगी

इस बात का खुलासा स्वामी असीमानंद के ‘इकबालिया’ बयान में है, जिसे सीआरपीसी के सेक्शन 164 के तहत दर्ज किया गया था. लेकिन बाद में इस बयान को वापस ले लिया गया.

हाल ही में जयपुर की विशेष एनआईए अदालत ने अजमेर ब्लास्ट में आरोपी असीमानंद और भारत मोहन रतेश्वर उर्फ भारत भाई को बरी कर दिया था. दोनों ने मजिस्ट्रेट के सामने बयान दर्ज कराया था.

खबरों के मुताबिक, सुनील जोशी और भारत भाई ने अप्रैल 2006 में असीमानंद के आदेश पर गोरखपुर के सांसद योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की थी. असीमानंद ने सुनील और भारत को आगरा जाकर स्थानीय आरएसएस नेता राजेश्वर सिंह से मुलाकात करके योगी से मिलने का रास्ता निकालने के लिए कहा था.

राजेश्वर दोनों को योगी से मिलवाने के लिए गोरखपुर ले गया. उस दिन दोनों को योगी से अकेले में मिलने का समय नहीं मिला. भारत भाई और असीमानंद के मुताबिक, योगी ने बातचीत में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई और किसी और दिन आने कहा. योगी ने कहा, ‘मैं बिजी हूं. लेकिन आप मुझसे कभी दोबारा मिल सकते हैं.’

इस मुलाकत के बाद दोनों ने दोबारा योगी से मिलने की कोशिश नहीं की.

असीमानंद के मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज कराए गए बयान और भारत भाई के सीआरपीसी के सेक्शन 164 के तहत दर्ज बयान में इन सभी बातों का जिक्र है.

इसके बाद कि असीमानंद अपने बयान से पलट गए और दावा किया कि उन्होंने यह कुछ दबाव में कहा था.

एनआईए कोर्ट ने स्वामी असीमानंद, भारत भाई और कुछ अन्य लोगों को अजमेर ब्लास्ट केस में बरी कर दिया, जबकि सुनील जोशी(मृत), देवेंद्र सिंह और भावेश पटेल को दोषी ठहराया था. 2011 में अजमेर दरगाह ब्लास्ट की जिम्मेदारी एनआईए को दी गई थी.

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