आतंकवाद के मुद्दे पर चीन को साथ लेकर और ताकतवर हो गया है भारत…जानें कैसे..

सैन्य कार्रवाई के बाद अब भारत और पाकिस्तान के बीच कूटनीतिक शह और मात का खेल शुरू हो गया है। भारत ने जहां आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान को दुनिया में अलग-थलग करने में पूरी ताकत झोंक दी है।

वहीं, पाकिस्तान ने अपने नाकाम हवाई हमले के बाद बातचीत की पेशकश कर समर्थन हासिल करने की कोशिश की है।

हालांकि चीन की आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई करने और अमेरिका की लताड़ से पाकिस्तान की कोशिशों को झटका लगा है।

भारत - चीन

कूटनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि सीमा पर तनाव, वायु सीमा के उल्लंघन और एलओसी पर संघर्ष विराम उल्लंघन के जरिए पाकिस्तान दुनिया को यह संदेश देना चाहता है कि परमाणु शक्ति संपन्न दो देश युद्ध की कगार पर हैं।

इसके जरिए वैश्विक मंच पर अलग-थलग पड़ा पाकिस्तान ताकतवर देशों से भारत पर दबाव बनाना चाहता है।

वायु सीमा उल्लंघन के बाद पाकिस्तानी पीएम इमरान खान की भारत के समक्ष बातचीत की पेशकश भी उसकी कूटनीतिक रणनीति का हिस्सा है।

वह इसके जरिए दुनिया को यह बताना चाहता है कि भारत दोनों देशों के बीच विवाद की वजहों को शांति के बदले सैन्य कार्रवाई से हल करना चाहता है।

हालांकि उसे इस कूटनीतिक जंग में फिलहाल इस्लामिक देशों के संघ ओआईसी का ही साथ परोक्ष साथ मिला है, जिसने पाकिस्तानी क्षेत्र में भारत के सर्जिकल स्ट्राइक को अनुचित करार देते हुए दोनों देशों से शांति की अपील की है।

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दूसरी ओर भारत ने ताकतवर देशों का साथ हासिल करने के अलावा पाकिस्तान के बेहद करीबी चीन को बीच का रास्ता अपनाने पर मजबूर कर बड़ी कूटनीतिक कामयाबी हासिल की है।

भारत की ओर से मंगलवार को किए गए सर्जिकल स्ट्राइक का फ्रांस, रूस, जर्मनी, अमेरिका जैसे दर्जनों देशों ने आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई से जोड़ कर पाकिस्तानी कूटनीतिक मुहिम को झटका दिया है।

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