भारत को एक समय सोने की चिड़िया कहा जाता था, क्योंकि उस दौर के राजाओं की शानोशौकत के चर्चे दुनिया में थे।
हालांकि यही दौलत दुनिया भर के हमलावरों को भी अपनी ओर खींचती थी। इसीलिए उस दौर के राजा अपने खजानों को बचाने के लिए इनसे जुड़ी जानकारियां गुप्त रखते थे।
उस दौरान कई क्रूर आक्रमणकारी भले ही राजाओं की सत्ता छीनने में कामयाब रहे, लेकिन वे कई छिपे हुए खजानों को हासिल नहीं कर सके। भारत में ऐसे कई खजाने हैं, जिनकी तलाश करनी अभी भी बाकी है।
हम आपको देश के ऐसे ही कुछ खजानों के बारे में बता रहे है जिन्हें लेकर कई तरह की किवदंतिया आज भी प्रचलित है।
ईसा पूर्व पांचवी शताब्दी में बिम्बिसार मगध का राजा था। इसके बाद ही मौर्य साम्राज्य का विस्तार शुरू हुआ था।
माना जाता है कि बिहार के राजगीर में बिम्बिसार का खजाना छिपा हुआ है।
यहां पर स्थित दो गुफाओं (सोन भंडार गुफा) में पुरानी लिपि में कुछ लिखा हुआ है, जिसे अभी तक पढ़ा नहीं जा सका है।
माना जाता है कि इसमें ही खजाने से जुड़े संकेत छिपे हो सकते हैं। खजाने से जुड़े संकेत इतने ठोस थे कि अग्रेजों ने इस खजाने को खोजने के लिए तोप का सहारा लिया लेकिन असफल रहे थे।
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लोगों के मुताबिक संभव है कि यहां लिखे संकेतों से कहीं और छिपे खजाने का नक्शा मिल सके।
नादिर शाह ने 1739 में भारत पर हमला कर दिल्ली पर कब्जा कर लिया था।
इस हमले में न केवल हजारों निर्दोष लोग मारे गए थे, बल्कि नादिर शाह पूरी दिल्ली को भी लूटकर ले गया था।
लूटे गए खजाने में मयूर तख्त और कोहिनूर के साथ लाखों की संख्या में सोने के सिक्के और बड़ी मात्रा में जवाहरात थे।