आज का सुविचार : रत्न से भी कीमती होती हैं यह वस्तुएं, क्या जानते हैं आप?

आचार्य चाणक्य बहुत ही विद्वान, दार्शनिक, दूरदृष्टा और रणनीतिकार थे। उन्होंने चाणक्य नीति में अपने ज्ञान और अनुभव को साहित्य के रूप में संग्रहित किया। यह नीति ग्रंथ मौजूदा समय में दुनिया के लिए एक अतुलनीय मार्गदर्शिका है। आईए जानते हैं कि आचार्य चाणक्य के अनुसार कौन सी वह चीजें हैं जो हीरे से बढ़कर हैं।

चाणक्य नीति का श्लोक है
पृथिव्यां त्रीणि रत्नानि जलमन्नं सुभाषितम् ।
मूढैः पाषाणखण्डेषु रत्नसंज्ञा विधीयते ॥

इसका अर्थ है पृथ्वी के सभी रत्नों में जल, अन्न और मधुर वचन सबसे बहुमूल्य रत्न हैं। इनके सामने हीरा, मोती, पन्ना और सोना महज पत्थर के समान है। पृथ्वी में जल की मात्रा सर्वाधिक है लेकिन इसमें पीने योग्य पानी काफी कम है। इसलिए आचार्य चाणक्य यह जानते थे कि पानी कितना अनमोल है। जल के बिना मनुष्य का जीवन संभव नहीं है। इसी तरह से मुष्य के पोषण के लिए अन्न कितना आवश्यक है। जल और अन्न से इंसान अपने जीवन की रक्षा कर पाता है। इससे उसके प्राणों की रक्षा होती है। शरीर का पोषण होता है और बल-बुद्धि में बढ़ोत्तरी होती है। मधुर वचनों से अगर इंसान चाहे तो शत्रुओं को भी जीतकर अपना बना सकता है। इसलिए यह रत्न अत्यंत बहुमूल्य है। चाणक्य कहते हैं कि इंसान इन रत्नों को छोड़ पत्थरों के पीछे दौड़ते हैं। उनका पूरा जीवन कष्टों से भर जाता है

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