आकाशवाणी के अस्थाई उदघोषकों को मिली बड़ी राहत

आकाशवाणीनैनीताल। आकाशवाणी अल्मोड़ा के 46 अस्थायी उद्घोषकों को केंद्रीय प्रशासनिक टिब्यूनल की नैनीताल बेंच ने बड़ी राहत दी है। टिब्यूनल ने इन उदघोषकों की 31 जुलाई से पहले री-स्क्रीनिंग के आदेशों पर रोक लगा दी। इस फैसले से प्रसार भारती को एक और झटका लगा है। दरअसल केरल के एर्नाकुलम टिब्यूनल में ऑल इंडिया रेडियो के अस्थाई उदघोषकों ने नियमितीकरण के लिए याचिका दायर की। टिब्यूनल में सुनवाई के दौरान ऑल इंडिया रेडियो की ओर से कहा गया कि अस्थायी उदघोषकों के लिए स्कीम बनाई जाएगी। बाद में स्कीम नहीं बनी तो कर्मचारियों ने अवमानना याचिका दायर कर दी। इसी बीच ऑल इंडिया रेडियो ने टिब्यूनल में पुनर्विचार याचिका दायर कर कहा कि स्कीम बनाने संबंधी कथन गलती से हलफनामे में शामिल हो गया। टिब्यूनल ने आकाशवाणी की दलील अस्वीकार करते हुए याचिका खारिज कर दी।

सुप्रीम कोर्ट ने दिया है यथास्थिति बनाने का आदेश

केरल टिब्यूनल के फैसले को आकाशवाणी ने केरल हाइ कोर्ट में चुनौती दी। वहां भी याचिका खारिज हो गई। इधर हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ निदेशक ऑल इंडिया रेडियो द्वारा सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुज्ञा याचिका यानी एसएलपी दाखिल की। पिछले साल 5 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने एसएलपी स्वीकार करते हुए यथास्थिति बनाये रखने के आदेश पारित किए।

यह भी पढ़ें : इस नन्ही योग टीचर के आगे फेल हो जाते हैं बड़े-बड़े ‘गुरू’

इस राहत के बाद आकाशवाणी ने इसी साल 22 फरवरी व 28 अप्रैल को आदेश जारी कर 31 जुलाई से पहले नियुक्त अस्थायी कर्मचारियों की री-स्क्रीनिंग करने का आदेश जारी किया। इसमें लिखित परीक्षा भी होनी थी। इस आदेश को अल्मोड़ा आकाशवाणी के उद्घोषक मनीष कुमार जोशी समेत 46 उद्घोषकों ने केंद्रीय प्रशासनिक टिब्यूनल इलाहाबाद बेंच की नैनीताल सर्किट कोर्ट में याचिका के जरिये चुनौती दी।

नैनीताल क्लब में बुधवार को टिब्यूनल के प्रशासनिक सदस्य ओपी मलिक व न्यायिक सदस्य गुप्ता द्वारा मामले को सुनने के बाद री-स्क्रीनिंग के आदेश पर यथास्थिति बनाये रखने के आदेश पारित किए।

LIVE TV