जनता को हैं इंतजार अयोध्या पर फैसले का दिन है आज, बस कुछ ही देर में आएगा फैसला

अयोध्या विवाद मामले में शनिवार को सुबह 10:30 बजे सुप्रीम कोर्ट फैसला सुनाएगा. बता दें कि अयोध्या मामले के फैसले के मद्देनजर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों को सतर्क रहने की हिदायत दी है. गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को एक सामान्य सलाह दी गई है.

अयोध्या

अयोध्या में धारा 144 लागू है. साथ ही सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं. अयोध्या में अर्धसैनिक बलों के 4000 जवानों को तैनात किया गया है. अधिकारी ने बताया कि राज्यों को सभी संवेदनशील स्थानों पर पर्याप्त सुरक्षाकर्मी तैनात रखने और यह सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है कि देश में कहीं भी कोई अप्रिय घटना न हो.

ड्रोन से अयोध्या शहर की निगरानी की जा रही है. अयोध्या को लेकर स्थानीय प्रशासन ने कई पीस कमेटियां बनाई हैं. इन कमेटियों में शामिल लोग जिले के गांवों में जाकर लोगों से शांति और प्रेम बनाए रखने की अपील कर रहे हैं. बाहर के जिलों में दर्जनों की संख्या में अस्थायी जेल परिसरों का निर्माण किया गया है.

गृह मंत्रालय ने बुधवार को योगी आदित्यनाथ की अगुवाई वाली उत्तर प्रदेश सरकार को अयोध्या में सभी सुरक्षा तैयारियों को सुनिश्चित करने के लिए आगाह किया था.

राम मंदिर मामले पर फैसला आज, सुबह 10:30 बजे सुप्रीम कोर्ट सुनायेगा अपना निर्णय

40 दिन तक चली सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने शुक्रवार को उप्र के मुख्य सचिव राजेन्द्र कुमार तिवारी और प्रदेश के पुलिस महानिदेशक ओम प्रकाश सिंह से राज्य में सुरक्षा बंदोबस्तों और कानून व्यवस्था के बारे में जानकारी प्राप्त की थी.

चीफ जस्टिस गोगोई की अध्यक्षता वाली 5 सदस्यीय संविधान पीठ ने, अयोध्या में 2.77 एकड़ विवादित भूमि 3 पक्षकारों-सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला विराजमान के बीच बराबर-बराबर बांटने के इलाहाबाद हाई कोर्ट के सितंबर, 2010 के फैसले के खिलाफ दायर अपीलों पर 6 अगस्त से रोजाना 40 दिन तक सुनवाई की थी.

संविधान पीठ ने इस प्रकरण पर छह अगस्त से नियमित सुनवाई शुरू करने से पहले मध्यस्थता के माध्यम से इस विवाद का सर्वमान्य समाधान खोजने का प्रयास किया था. न्यायालय ने इसके लिए शीर्ष अदालत के सेवानिवृत्त् न्यायाधीश एफएमआई कलीफुल्ला की अध्यक्षता में 3 सदस्यीय मध्यस्थता समिति भी गठित की थी लेकिन उसे इसमें सफलता नहीं मिली. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 6 अगस्त से रोजाना सुनवाई करने का निर्णय किया.

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1950 में दायर हुआ था पहला मुकदमा

अयोध्या मामले को लेकर शुरूआत में निचली अदालत में 5 वाद दायर किए गए थे. पहला मुकदमा ‘राम लला’ के भक्त गोपाल सिंह विशारद ने 1950 में दायर किया था. गोपाल सिंह विशारद ने विवादित स्थल पर हिन्दुओं के पूजा अर्चना का अधिकार लागू करने की मांग की थी.

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