अब इन्टरनेट की स्पीड होगी सौ गुना तेज, अगले साल से शुरू हो जायेगा 5G…
5जी तकनीक से स्मार्टफोन्स की दुनिया में एक बड़ा बदलाव आएगा। इससे कार, घर, मशीन और गैजेट्स को एक इंटरनेट कनेक्शन से जोड़ा जा सकेगा।
देश के किसी दूरदराज इलाके में गंभीर रूप से बीमार कोई व्यक्ति यात्रा करने की स्थिति में नहीं है, तो 5जी की सहायता से उसका इलाज वर्चुअल रियलिटी कंट्रोलर्स के जरिए आसानी से किया जा सकेगा।
देश के ज्यादातर सर्विस प्रोवाइडर्स 5जी को अपनाने की दिशा में कदम बढ़ा चुके हैं।
डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्युनिकेशंस सिस्को, सैमसंग, एरिक्सन और नोकिया जैसी इक्विपमेंट वेंडर्स से रिलायंस जियो, भारती एयरटेल, वोडाफोन आइडिया और सरकारी कंपनी भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) के साथ पार्टनरशिप करने के लिए कह चुका है।
डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्युनिकेशंस चाहता है कि टेलीकॉम कंपनियां देश में जनवरी 2019 तक 5जी का फील्ड ट्रायल करें और व्यावसायिक स्तर पर इसकी शुरुआत को आसान बनाने के लिए जरूरी सिस्टम के बारे में बताएं।
सिस्को के मुताबिक, टेलीकॉम नेटवर्क 5जी एनवायरमेंट में ही वास्तविक तौर पर सर्विस प्लेटफॉर्म बनेंगी और छोटी मझोली कंपनियों और उपभोक्ताओं के लिए खासतौर पर तैयार डिजिटिल सर्विसेज से टेलीकॉम कंपनियों को नेटवर्क ट्रांसफॉर्मेशन और डाटा सेंटर आर्किटेक्चर बनाने में किया गया निवेश वसूल करने में मदद मिलेगी।
इसकी स्पीड 4जी नेटवर्क से 100 गुना तक ज्यादा हो सकती है। सरकार को देश में 5जी की शुरुआत 2020 के अंत में शुरू होने की उम्मीद है।
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हालांकि टेलीकॉम सेक्टर के एक्सपर्ट्स का कहना है कि 5जी लॉन्च करने को लेकर भारत की तैयारी धीमी है।
दक्षिण कोरिया, जापान, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, चीन, फ्रांस और जर्मनी इस लिहाज से कम से कम हमारे देश के मुकाबले करीब तीन साल आगे हैं। 5जी में भारत के पिछड़ने की एक बड़ी वजह फाइबर नेटवर्क इंफ्रास्ट्रक्चर की खराब स्थिति है।
टेलीकॉम इंडस्ट्री पर वित्तीय दबाव की वजह से पहले ही 5जी स्पेक्ट्रम की बिक्री साल के अंत तक होने की संभावना है।
5जी नेटवर्क के सबसे पहले अमेरिका में इस साल जून तक शुरू होने की उम्मीद है। इसके बाद दक्षिण कोरिया, जापान और चीन में यह सेवा शुरू होगी।
एक्सपर्ट्स का कहना है कि 5जी की राह में फाइबर कनेक्टिविटी की कमी बड़ी बाधा है। देश में टेलीकॉम टावर्स में से 20 फीसदी से कम फाइबर केबल्स से जुड़े हैं।