अतृप्त आत्माओं को होता है इन लोगों से ज्यादा प्यार, कहीं आप भी तो नहीं है शामिल…

अक्सर आपने लोगों को कहते सुना होगा कि जिन लोगों की आत्मा को मुक्ति नहीं मिलती है वो इस दुनिया में भटकते रहते हैं। ऐसे लोग की दुर्घटना में, मर्डर और बीमारी आदि से मौत होती है। मगर आज हम आपको भटकती आत्माओं के ऐसे रहस्य के बारे में बताएंगे, जिनके बारे में आप शायद ही जानते होंगे।

इंसान जब जिंदा होती है तब उसमें जीवात्मा का वास होता है। वहीं मरने के बाद ये प्रेतात्मा बन जाती है और यही प्रेतआत्मा जब किसी भौतिक शरीर में रहने लगती है तब इसे सूक्ष्मात्मा कहा जाता है।

अतृप्त आत्माओं को होता है इन लोगों से ज्यादा प्यार

ज्यादातर लोगों को लगता है कि अकाल मृत्यु के चलते जिन लोगों की आत्माएं भटकती रहती है, वहीं भूत बनते है। मगर हकीकत में भूत बनने के कई और भी कारण होते हैं। इसमें एक वजह है कुंडली में खराब ग्रह का होना।

दरअसल जिन लोगों की कुंडली में राहु लग्न में या अष्टम भाव में होता है और उस पर अन्य क्रूर ग्रहों की दृष्टि है। ऐसी स्थिति में व्यक्ति पर प्रेतात्माओं का कब्जा रहता है। ऐसे लोगों को राक्षसगण का माना जाता है।

जो लोग टोने-टोटके जैसी तांत्रिक क्रियाएं करते हैं उन पर भी प्रेतों का वास होता है। क्योंकि ये सारे कार्य अमांगलिक होते हैं। इससे नकारात्मक शक्तियां व्यक्ति की तरफ खिंचने लगती है।

हिंदू धर्म के अनुसार जो लोग एकादशी, प्रदोष, अमावस्या और पूर्णिमा समेत पवित्र दिनों में पाप कर्म करता हैं, मांस-मदिरा का सेवन करता है और बड़ों का अपमान करते हैं, इनसे ईश्वर नाराज हो जाते हैं। ऐसे लोग पापकर्मों की वजह से भूत बाधा से परेशान रहते हैं। बाद में इनमें भी प्रेत आत्माएं प्रवेश कर जाती हैं।

भूत बनने का एक और भी कारण है, जो लोग मानसिक तौर पर कमजोर होते हैं, जरा-सी बातों पर डर जाते हैं और दिल से कमजोर होते हैं, इन्हें भूत अपना निशाना बना लेते हैं। अगर कोई व्यक्ति ऐसे लोगों पर तांत्रिक क्रियाएं करते हैं तो इन पर प्रेतों का कब्जा हो जाता है।

जो लोग अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण नहीं कराते हैं उन पर भी भूतों का कब्जा होे जाता है। इन पर अपने ही पितरों की नकारात्मक छाया का वास हो जाता है। ऐसे में व्यक्ति अमान्वीय कार्य करने लगता है।

अगर किसी व्यक्ति की मरने से पहले कुछ खाने की इच्छा थी व पानी पीना चाहता था, लेकिन अपनी आत्मा को संतुष्ट करने से पहले ही उसकी मौत हो गई हो तो इनकी आत्माएं भटकती रहती है, जो कि भूत बन जाती है।

मौत का एक रहस्य ऐसा भी, किस समय में मृत्यु देती है आत्मा को मुक्ति…

वेदों के अनुसार मृत्युकाल में ‘यम’ नामक वायु में कुछ काल तक आत्मा रहती है। इसके बाद दोबारा दूसरी योनि में जन्म होता है। मगर जब वो दूसरा गर्भधारण करते समय अपने मरने की घटना को याद कर लेती है तो ऐसी आत्माएं भूत बन जाती हैं।

जो लोग मन में ईष्र्या एवं नफरत के साथ मरते हैं उनमें किसी चीज को पाने की हमेशा चाहत रहती है। इसी के चलते उनमें बेचैनी बनी रहती है। इसी दौर में वो प्रेत योनि में भटकते रहते हैं।

जो लोग गंदे कामों में लिप्त रहते हैं, दूसरों पर अत्याचार करते हैं ऐसे लोगों को मरने के बाद भी मुक्ति नहीं मिलती है। ऐसे लोग भी भूत बन जाते हैं।

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