मौत का एक रहस्य ऐसा भी, किस समय में मृत्यु देती है आत्मा को मुक्ति…
सूर्य मकर रेखा को पार करता है, उससे पहले मृत्यु दर बढ़ी हुई रहती है। एक्सिडेंट, आत्महत्या और दूसरे कई कारण होते हैं जिनसे मौत होती हैं। सूर्य के उत्तरायण के बाद ऐसी मौतों में गिरावट आती है।
ज्योतिष और ग्रहों की गणना की बात करें तो सनातन शास्त्रों में उल्लेख हैं कि सूर्य के उत्तरायण में आने के बाद मौत होने पर आत्मा को मुक्ति मिलती है और उससे पहले होने वाली मौतों में ज्यादातर आत्मा को भटकना पड़ता है।
अगर दशा पर शोध करें तो मौतों की दर के आंकड़े ऐसे ही मिलते हैं जिसमें सूर्य के उत्तरायण और दक्षिणायन का असर भी देखने को मिलता है। ज्योतिषाचार्य मनोज मिश्रा की मानें तो सनातन की गणित बिना तथ्यों के नहीं है।
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पहले आधारभूत गणना होने के बाद ही ऐसे तथ्यों को सार्वजनिक किया गया जो अब शास्त्रों में उल्लेखित है।
श्रीगुर्जरगौड़ ब्राह्मण संवर्दन एंव संरक्षण समिति के विशेषज्ञ रतन सांखी बताते हैं कि महाभारत में पितामह भीष्म ने मृत्यु शैया पर सिर्फ इसलिए मौत को रोके रखा क्योंकि, तब सूर्य दक्षिणायन में था और जैसे ही सूर्य उत्तर दिशा में स्थापित हुआ पितामह ने अपने प्राण त्याग दिए।
सांखी बताते हैं कि काल भले ही ही कलयुग हो लेकिन, गणित के स्तम्भ अभी भी वो ही हैं। इंसान मृत्यु से पहले इन्हीं गणना के बाद प्राण त्यागने के प्रयास करता है।