अखंड साम्राज्‍य योग है दुर्लभ, इसके बारे में जानिए खास बातें

अखंड साम्राज्‍य योगनई दिल्ली। अखंड साम्राज्‍य योग वो योग है जो कुंडली में होने पर आपकी सूरत बदल देता है। अखंड साम्राज्य योग होने पर अन्य सभी बुरे ग्रहों के प्रभाव स्वतः समाप्त हो जाते हैं। नौकरी, व्यापार, शिक्षा के क्षेत्रों में उच्च श्रेणी की सफलता दिलवाता है।

वैदिक ज्योतिष में अनेक शुभ योगों का वर्णन किया गया है, लेकिन एक ऐसा योग भी है जिसके बारे में ज्यादा लोगों को जानकारी नहीं है। वह है अखंड साम्राज्य योग। ज्योतिष शास्त्र में इसे दुर्लभ योगों की श्रेणी में रखा गया है। यह जन्मकुंडली में लग्न और ग्रहों की कुछ विशेष परिस्थितियों के कारण निर्मित होता है।

जिस कुंडली में यह योग होता है वह अनंत संपत्ति और ध का स्वामी होता है। उसकी समृद्धि में उत्तरोत्तर वृद्धि होती जाती है। माना जाता है कि 75 वर्ष तक इस योग का प्रभाव रहता है। आइये अब जानते हैं यह योग बनता कैसे है…

वैदिक ज्योतिष में 12 राशियां होती हैं जो तीन समूहों में विभाजित होती हैं। प्रत्येक समूह में चार-चार राशियां आती हैं, जिन्हें चर, स्थिर और द्विस्वभाव राशियां कहा जाता है। अखंड साम्राज्य केवल उन कुंडलियों में बनता है जो स्थिर लग्न वाली होती है। स्थिर लग्न वृषभ, सिंह, वृश्चिक और कुंभ होते हैं।

साथ ही बृहस्पति लग्न से पांचवें और ग्यारहवें भाव में स्थित हो। वृषभ लग्न के लिए बृहस्पति 11वें भाव, सिंह लग्न के लिए पंचम स्थान, वृश्चिक लग्न के लिए द्वितीय और पंचम भाव तथा कुंभ लग्न के लिए द्वितीय और एकादश भाव का कारक माना जाता है।

इसके साथ ही चंद्र की स्थिति भी देखी जाती है। मजबूत गुरु द्वितीय, पंचम और 11वें भाव में हो और उसके साथ चंद्र हो। द्वितीय, दशम और 11वें भाव का स्वामी केंद्र में हो।

योग के लाभ

जिस व्यक्ति की कुंडली में अखंड साम्राज्य योग होता है उसे जीवन में कभी धन का अभाव नहीं रहता। उसे पैतृक संपत्ति प्राप्त होती है। और यदि पैतृक संपत्ति प्राप्त न हो तो वह अपने बूते पर अखंड संपत्ति का स्वामी बनता है।

जॉब, बिजनेस के क्षेत्र में बाधाओं के बावजूद शिखर तक पहुंचता है। समस्त भौतिक सुखों का स्वामी बनता है। इसे गड़ा धन मिलने या अचानक कहीं से बड़ा धनलाभ होने के योग बनते हैं। जिस कुंडली में यह योग होता है उसके दूसरे बुरे दोष समाप्त हो जाते हैं।

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