अब हाजी अली दरगाह के अंदर जा सकेंगी महिलाएं, हाईकोर्ट ने हटाया बैन
मुंबई। धार्मिक स्थलों में प्रवेश के लिए आंदोलन कर रहीं महिलाओं के लिए आज का दिन खुशी लेकर आया है। मुंबई की हाजी अली दरगाह में महिलाओं के प्रवेश के मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने आज ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए महिलाओं को प्रवेश की इजाजत दे दी है।
कोर्ट के इस फैसले के बाद अब महिलाएं हाजी अली दरगाह में मजार के अंदर तक जा सकती हैं। कोर्ट ने महिलाओं को इसकी इजाजत दे दी है। तृप्ति देसाई और भूमाता ब्रिगेड की कार्यकर्ता ने गुलाल के साथ हाई कोर्ट के फैसले का जश्न मनाया।
धार्मिक स्थलों में प्रवेश को लेकर महिलाओं की यह दूसरी बड़ी जीत है। इससे पहले महाराष्ट्र के शनि शिंगनापुर मंदिर में प्रवेश के लिए कोर्ट ने महिलाओं को इजाजत दी थी। हालांकि कोर्ट के फैसले से कई मौलाना खफा हैं और सुप्रीम कोर्ट में जाने की बात कह रहे हैं।
जस्टिस वीएम कनाडे और जस्टिस रेवती मोहिते-डेरे की खंडपीठ मामले की सुनवाई कर रही है। याचिकाकर्ता जाकिया सोमन, नूरजहां सफिया नियाज की ओर से वरिष्ठ वकील राजीव मोरे ने हाईकोर्ट में पैरवी की। नियाज ने अगस्त 2014 में अदालत में याचिका दायर कर यह मामला उठाया था।
HC said ban on women is unconstitutional.Dargah trust said they will approach SC: Raju More,Petitioner's lawyer pic.twitter.com/oQIAS0Kaog
— ANI (@ANI) August 26, 2016
याचिकाकर्ता के वकील राजू मोरे ने अदालत के फैसले की जानकारी देते हुए कहा, ‘कोर्ट ने महिलाओं के प्रवेश पर लगी पाबंदी को हटा लिया है। अदालत ने इसे असंवैधानिक माना है। दरगाह ट्रस्ट ने कहा है कि वो हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे।’
HC should not have interfered but now that they have given a decision against us we will approach SC: Haji Rafat,MIM pic.twitter.com/2In3CTJvIl
— ANI (@ANI) August 26, 2016
दूसरी ओर, एमआईएम के हाजी रफत ने कहा कि हाई कोर्ट को इस मामले में दखल नहीं देना चाहिए था, लेकिन अब जब उसने फैसला दिया है तो हम सुप्रीम कोर्ट जाएंगे।
ट्रस्ट ने जून 2012 में महिलाओं के प्रवेश पर यह कहते हुए रोक लगा दी थी कि इस्लाम में महिलाओं को पुरुष संतों की कब्रों को छूने की अनुमति नहीं है और उनके लिए कब्र वाले स्थान पर जाना पाप है।
हाजी अली दरगाह पर फैसला आते ही महिलाओं ने मनाया जश्न
मुम्बई हाईकोर्ट का फैसला आते ही महिलाओं में खुशी की लहर दौड़ गयी। खासतौर से वह महिलाएं जो धार्मिक स्थलों प्रवेश करने के लिए पुरुषों की तरह ही अधिकारों की मांग कर रहीं थीं और अदालत का दरवाजा खटखटाया था।
फैसला आते ही हाजी अली दरगाह में प्रवेश की अदालत में लड़ाई लड़ रहीं तृप्ति देसार्इ ने कहा कि, यह हम हाईकोर्ट के फैसले का स्वागत करते हैं, यह एक ऐतिहासिक फैसला है और महिलाओं के लिए एक बड़ी जीत है।
This is an historic decision, we welcome the HC order, big win for women: Trupti Desai on Haji Ali Dargah case pic.twitter.com/nVqsa3ybVJ
— ANI (@ANI) August 26, 2016
हाजी अली दरगाह केस की पीटिशनर जाकिया सोनम ने कहा कि, हम बहुत खुश हैं, यह मुस्लिम महिलाओं के पक्ष में हुआ एक महान फैसला है।
Very happy, this is a great step towards justice for Muslim women: Zakia Soman,Petitioner in Haji Ali Dargah case pic.twitter.com/b5HtFN909y
— ANI (@ANI) August 26, 2016
उत्तर प्रदेश की पहली महिला काजी हिना जहीर ने कहा कि, यह बहुत अच्छा और तार्किक फैसला है।
It’s a very good and logical judgement: UP's first woman qazi Hina Zaheer on Haji Ali Dargah case pic.twitter.com/3S7pQQFPTm
— ANI (@ANI) August 26, 2016
एक्टिविस्ट ब्रिंदा ने कहा कि, हमे संविधान के अनुरुप मंदिरों और मस्जिदों में प्रवेश और पूजा का अधिकार होना चाहिए। उन्होंने कहा कि अन्य धार्मिक स्थलों पर भी प्रतिबंध हटना चाहिए।