सुप्रीम कोर्ट नोट बैन पर पीएम मोदी के साथ, विरोधियों की बोलती बंद
नई दिल्ली। नोटबैन के खिलाफ दायर अर्जी पर जल्द सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को इंकार कर दिया है। मालूम हो कि शीर्ष कोर्ट ने 500 और एक हजार रुपये के करेंसी नोटों के विमुद्रीकरण के आठ नवंबर के अपने फैसले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय को छोड़ कर विभिन्न उच्च न्यायालयों और अन्य अदालतों में दायर मामलों की सुनवाई पर स्थगन लगाने की केन्द्र की ताजा याचिका पर सुनवाई करने पर गुरुवार को सहमति दी थी।
खबर के मुताबिक, नोटबंदी के खिलाफ दायर अर्जी पर आज सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अर्जी पर जल्द सुनवाई नहीं हो सकती है। नोट बैन को लेकर सभी याचिकाओं पर अब 25 नवंबर को सुनवाई होगी।
न्यायमूर्ति एआर दवे और न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर की पीठ ने केन्द्र की तरफ से पेश एटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी की दलील पर सहमति जता दी थी कि शीर्ष न्यायालय को छोड़ कर विभिन्न अदालतों में कार्रवाई से बहुत भ्रम पैदा होगा। पीठ ने 15 नवंबर को विमुद्रीकरण की सरकार की अधिसूचना पर स्थगन लगाने से इनकार कर दिया लेकिन सरकार से कहा कि वह आमजन की तकलीफों को कम करने के कदम बताए।
उच्चतम न्यायालय में दायर चार जनहित याचिकाओं में से दो दिल्ली आधारित वकीलों – विवेक नारायण शर्मा और संगम लाल पांडेय – ने दायर की हैं जबकि एस. मुथुकुमार और आदिल अलवी ने एक एक याचिका दायर की है।
याचिकाकर्ताओं के आरोप हैं कि अचानक किए गए फैसले से अव्यवस्था पैदा हो गई है और आम लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने मांग की है कि वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग की अधिसूचना या तो निरस्त की जाए या कुछ समय के लिए टाली जाए।