
आजकल की भागदौड़ भरी जीवनशैली में न ही व्यायाम के लिए किसी के पास समय है और न ही सही खानपान के लिए यही कारण है कि ज्यादातर महिलाएं सामान्य और सेहतमंद तरीके से बच्चे को जन्म देने में असमर्थ रहती हैं, आधुनिकता के नाम पर भले ही सिजेरियन ऑपरेशन को आसान और दर्दरहित विकल्प माना जाता हो, लेकिन प्राकृतिक तरीका ही सही होता है, डिलिवरी को आसान व दर्दरहित बनाने के लिए प्रैगनेंट महिलाओं को स्क्वैट्स यानी कमर व थाइज की मसल्स को मजबूत बनाने वाली ऐक्सरसाइज करनी चाहिए. इस से शिशु नीचे की ओर आ जाता है और उस का सिर बर्थ कैनल में फिट हो जाता है. इस सब से डिलिवरी आसानी से हो जाती है |
लेकिन फिर भी किन्ही कारणों से यदि सिजेरियन ऑपरेशन स्थिति आ गई हो तो उसके लिए भी तैयार रहना चाहिए | मां या बच्चे की सेहत को खतरा देख कर की जाने वाली प्रसव सर्जरी प्रक्रिया को सिजेरियन ऑपरेशन की स्थिति कहते हैं. इस प्रक्रिया में गर्भवती महिला की सर्जरी करनी पडती है. स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ इसे सामान्य डिलिवरी के बाद का सब से सुरक्षित तरीका मानते हैं | इस प्रक्रिया ने डिलीवरी प्रक्रिया को इतना आसान बना दिया है कि ज्यादातर औपरेशन 30-40 मिनट में निपट जाते हैं | इस प्रक्रिया में पेट पर चीरा लगा कर बच्चे को गर्भाशय से बाहर निकाला जाता है | सिजेरियन तभी किया जाता है जब गर्भवती महिला के ब्लड प्रैशर बढ़ने, दौरा पड़ने, छोटे कद वाली महिलाओं की कुल्हे की हड्डी छोटी होने, ज्यादा खून बहने, बच्चे की धड़कन कम होने या गले में गर्भनाल लिपटी होने, बच्चे का उलटा होने, कमजोरी, खून का दौरा कम होने, शिशु के पेट में मलमूत्र छोड़ देने आदि स्थितियों में सिजेरियन ऑपरेशन करना जरूरी हो जाता है | आजकल सिजेरियन करवाने के कुछ अन्य कारण भी उभरे हैं जैसे :-कई माताएँ प्रसव-पीड़ा सहने के लिए बिलकुल तैयार नहीं होतीं। 2.आजकल काफी बच्चे माँ की अधिक उम्र होने पर गर्भ में आते हैं, क्योंकि माँ द्वारा अपनी पढ़ाई और अपना कैरियर सँभालने में काफी समय निकल जाता है | बाँझपन के लिए आई.वी.एफ. द्वारा प्राप्त गर्भ इसमें अधिकांश दंपती बच्चे के लिए हलका खतरा भी नहीं उठाना चाहते। फॉरसेप्स (Forceps) और वेंटूस (Ventouse) जैसी विधियों का अनुभव बहुत कम चिकित्सकों को है, इसलिए इनके इस्तेमाल के बदले सिजेरियन उन्हें अधिक आसान लगता है।
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विशेषज्ञ उन तमाम भ्रमों से दूर रहने को कहते हैं, जिन के सिजेरियन ऑपरेशन के बाद होने की आशंका जताई जाती है | जैसे, सिजेरियन से पैदा हुए बच्चे बीमार रहते हैं, सर्जरी के दौरान अतिरिक्त खून की जरूरत पड़ती है, 6 माह तक बिस्तर पकड़ना पड़ता है आदि | आमतौर पर सिजेरियन ऑपरेशन के बाद घर की महिलाएं प्रसूता को टांके पकने के डर से नहाने के लिए मना करती हैं, जोकि गलत है इससे संक्रमण होने का खतरा बढ़ता है | इसलिए डाक्टर के बताए अनुसार साफ सफाई का ध्यान जरुर रखें तथा नहाने के विषय में उनसे सलाह ले वो आपके जख्मो को चेक करके आपको उचित सलाह देंगे | सिजेरियन ऑपरेशन के 4-5 दिन बाद से महिला घर का काम कर सकती है | इसी विषय से जुड़े कुछ सवालो तथा मिथकों के जवाब इस आर्टिकल में दिया गया है |
सिजेरियन ऑपरेशन से जुड़े सवाल जवाब
क्या यह सच है कि यदि किसी स्त्री की एक बार डिलीवरी सिजेरियन ऑपरेशन से हो जाए तो आगे भी हमेशा सिजेरियन द्वारा ही वह बच्चे को जन्म दे सकती है?
- यह जरूरी नहीं है कि हर मरीज में सिजेरियन ऑपरेशन को दोहराया जाए, कई स्त्रियां जिन्होंने अपने पहले गर्भधारण में सिजेरियन द्वारा बच्चे को जन्म दिया हो, उन की अगली डिलीवरी सामान्य रूप से हो जाया करती है |
मगर ज्यादातर यह देखा गया है कि जिस स्त्री में पहले सिजेरियन ऑपरेशन हो चुका है उसे आगे भी इसी की सलाह दी जाती है?
- इसकी वजह यह होती है कि पहले गर्भधारण के दौरान उस स्त्री में कुछ ऐसी स्थितियां पैदा हो गई हों जिस से या तो सामान्य डिलीवरी संभव न हो या खतरनाक हो (जैसे प्रसूति मार्ग का अत्यंत संकुचित होना, स्त्री को मधुमेह या उच्च रक्तचाप होना, फिट आना या गर्भाशय में कंपन न होना), ऐसी स्थिति आगे होने वाले प्रसवकाल में भी ज्यों की त्यों बनी रहती है और सिजेरियन ऑपरेशन जरूरी हो जाता है |
एक सिजेरियन ऑपरेशन में कितना रक्तस्राव होता है?
- आमतौर पर 300 से 400 मि.ली. तक (सामान्य प्रसूति में 100 से 150 मि.ली. तक रक्तस्राव होता है).
क्या इस सर्जरी में कितना खून चढ़ाना पड़ता है?
- वैसे तो एक बोतल खून काफी होता है, मगर यदि मरीज रक्ताल्पता ( एनीमिया ) का शिकार हो या सिजेरियन ऑपरेशन में रक्तस्राव अधिक हो गया हो तो फिर दूसरी बोतल की जरूरत पड़ सकती है |
क्या सिजेरियन ऑपरेशन खतरनाक है?
- बिलकुल नहीं. आज अच्छी और सुरक्षित बेहोश विधि, कारगर एंटीबायोटिक और रक्तदान की सुविधा की वजह से यह सर्जरी अत्यंत सरल और सुरक्षित हो गई है. इस के अलावा यह न केवल स्त्री को प्रसव दर्द से बचाती है बल्कि डिलीवरी की राह में गुजरने वाले घंटों के इंतजार और थकान से भी स्त्री को दूर रखती है |
जब इस विधि के इतने सारे फायदे हैं तो क्यों न हर डिलीवरी इसी विधि से की जाए?
- यह सच है कि सिजेरियन डिलीवरी एक दर्दरहित और तुरंत हो जाने वाली प्रक्रिया है, मगर फिर भी सामान्य रूप से होने वाले प्रसव के फायदों को नकारा नहीं जा सकता, जिन के चलते स्त्री एक महीने में पूरी तरह से स्वस्थ और सामान्य हो जाती है, फिर सिजेरियन ऑपरेशन के लिए विशेषज्ञ डाक्टरों, निश्चेतकों और अन्य वस्तुओं की जरूरत होती है, वहीं सामान्य डिलीवरी सीमित साधनों में किसी भी स्थान पर अनुभवी व्यक्तियों द्वारा की जा सकती है, एक और जरूरी बात है इस क्रिया पर होने वाला खर्च, सिजेरियन ऑपरेशन में होने वाला खर्च सामान्य डिलीवरी के मुकाबले कई गुना अधिक होता है |
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सिजेरियन आपरेशन करने की सबसे आम वजह कौन सी है?
- जिन स्त्रियों में पहले भी सिजेरियन द्वारा प्रसव हुआ हो उनकी संख्या आगे भी सिजेरियन कराने वालों में सब से ऊपर होती है |
आमतौर पर कितनी गर्भवती स्त्रियों में सिजेरियन ऑपरेशन की जरूरत पड़ती है?
- आज करीब दस प्रतिशत गर्भवतियो में सिजेरियन करना पड़ता है |
सिजेरियन ऑपरेशन के बाद मरीजों को क्या हिदायतें दी जाती हैं?
- महिला को पहले बारह घंटों में मुंह से कुछ खाने को ना दिया जाए. उसके बाद वह तरल पदार्थ – जैसे पानी, चाय या शरबत ले सकती है. इसी दौरान मूत्र मार्ग में प्रविष्ट नली को भी निकाल दिया जाता है |
- जिन महिलाओं का सिजेरियन ऑपरेशन हुआ है, उन्हें यह सुझाव दिया जाता है कि वह अपने पेट पर दवाब बिल्कुल ना डाले। इससे सूजन और टांके खुलने की समस्या हो सकती है। इसलिए किसी भी ऐसे काम करने बचें जो पेट पर दवाब डालता हो।
- सर्जरी करवाने के बाद मां को कम से कम दो महीने तक सेक्स करने से बचना चाहिए।
- डाइट में हाई फाइबर युक्त फल और सब्जियां शामिल करेंताकि कब्ज ना बन पायें, तरल पदार्थ भी अधिक लें |
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सिजेरियन ऑपरेशन के बाद महिला बिस्तर से कब उठ कर बैठ या घूम सकती है?
- आमतौर पर बारह घंटे बाद उसे बैठने और घूमने की अनुमति दे दी जाती है |
ऑपरेशन के बाद महिला अपना सामान्य भोजन कब ले सकती है?
- जैसे ही उसका पेट एक बार साफ़ हो जाता है, उसे सामान्य भोजन दिया जा सकता है |
सिजेरियन ऑपरेशन के बाद महिलाओं को किन बातो का ख्याल रखना चाहिए ?
- साफ-सफाई का खास ध्यान रखें. -ज्यादा से ज्यादा तरल पदार्थ लें | तले भुने खाने से परहेज करें | पौष्टिक भोजन लें। डाक्टर द्वारा सुझाई गई दवा जरूर लें। सर्जरी के बाद कम से कम 2 महीने तक मालिश न कराएं | टांकों में दर्द हो तो डाक्टर को जरूर दिखाएं है | लेकिन वजन उठाने जैसे काम 6 माह के बाद ही करें, नियमित दवा और पौष्टिक खानपान पर पूरा ध्यान दें |
ऑपरेशन के बाद शिशु को स्तनपान कब शुरू किया जा सकता है?
- आमतौर पर छह घंटों में बेहोशी की दवाओं का प्रभाव पूरी तरह से समाप्त हो जाता है | इस के बाद महिला शिशु को दूध पिला सकती है |