शादीशुदा होते हुए दूसरी शादी करना पड़ा भारी, कोर्ट ने माना रेपिस्ट और फिर…
नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने एक शख्स को शादीशुदा होते हुए खुद को सिंगल बताकर दूसरी शादी करने के बाद दूसरी पत्नी से बनाए शारीरिक संबंधों को रेप करार दिया है। कोर्ट ने इस शख्स को सात साल कैद की सजा सुनाई है।
इस मामले पर कोर्ट ने कहा पीड़िता ने शारीरिक संबंध बनाने के लिए अपनी सहमति यह सोच कर दी थी कि वह आरोपी की पत्नी है, लेकिन वास्तविकता यह थी कि आरोपी पहले से शादीशुदा था।
पीड़िता के मुताबिक आरोपी ने 21 जुलाई 2008 को उससे शादी की थी। उस समय आरोपी ने कहा था कि वह बैचलर और अविवाहित है।
फिर शादी के अगले दिन आरोपी उसे करोलबाग के होटल में ले गया और वहां उससे शारीरिक संबंध बनाए। इसके बाद आरोपी उसके साथ पटेल नगर स्थित एक किराए के घर में रहने लगा।
लेकिन आरोपी घर लेट से आता था। पीड़िता को कई बार आरोपी पर कुछ संदेह भी हुआ पर वो हमेशा बातों को टाल देता था।
आरोपी काम का बहाना बनाकर घर से बाहर ही रहता था और जब घर आता था तब उसके साथ संबंध बनता था। इतना ही नहीं आरोपी संबंध बनाने के बाद उसे गर्भ निरोधक दवा का इस्तेमाल करने के लिए मजबूर करता था। उसका कहना था की उसे अभी बच्चे नहीं चाहिए।
पीड़िता ने कहा एक बार वो आरोपी का सामान साफ़ कर रही थी टैब उसे एक राशन कार्ड मिला जिसे देखकर वो दंग रह गई। राशन कार्ड में आरोपी की पहली पत्नी और बच्चे का नाम था। इसके बाद जब पीड़िता ने उससे पहली शादी के बारे में पूछा तो उसने माना कि उसकी शादी हो चुकी है।
पीड़िता ने मेट्रोपॉलिटन मैजिस्ट्रेट की अदालत में आरोपी की शिकायत की। इसके बाद कोर्ट ने आरोपी के खिलाफ रेप और पहली शादी रहते हुए दूसरी शादी करने के मामले में केस चलाया और कुछ समय बाद निचली अदालत ने उसे सात साल कैद की सजा सुनाई।
आरोपी ने निचली अदालत के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी।
हाई कोर्ट की जस्टिस मुक्ता गुप्ता की बेंच ने अपने फैसले में कहा कि शादी के बाद दोनों पति-पत्नी की तरह रहे और पीडि़ता ने खुद को उसकी पत्नी मानते हुए संबंध के लिए सहमति दी। जबकि आरोपी पहले से शादीशुदा था।
इसके बाद कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले में दखल से इनकार करते हुए आरोपी की अर्जी खारिज कर दी और उसकी सजा बरक़रार रखी।