सजा-ए-मौत पाये इस आदमखोर को अब होगी उम्रकैद

लखीमपुर खीरी । कई महीनों से दक्षिण खीरी वन प्रभाग के मैलानी रेंज में खौफ का कारण बने आदमखोर बाघ को आखिरकार वन विभाग ने शिकंजे मे ले ही लिया।हैरानी की बात यह रही की अब तक वन विभाग के अफसर इस हमलावार को बाघिन बता रहे थे।

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बुधवार दोपहर को यह बाघ ट्रैंक्युलाइज किया गया। फिर आधे घंटे तक इंतजार करने के बाद जब अफसर बाघ के पास पहुंचे तो उन्होंने चैन  की सांस ली।

खास बात यह रही कि बाघ का डेथ वारंट जारी होने के कुछ घंटे बाद ही उसे ट्रैंक्युलाइज कर पकड़ लिया गया। प्रधान मुख्य वन संरक्षक उमेंद्र शर्मा ने बुधवार दोपहर बाघ को आदमखोर घोषित करने का पत्र जारी किया था।

खरेहटा बीट के छेदीपुर गांव के आसपास सक्रिय इस बाघ ने कई ग्रामीणों को अपना निवाला बनाया था, जो जांच में सिद्ध भी हो चुका था ।

कई लोगो की ले चुका था जान 

आदमखोर हो चुके इस बाघ ने गांव के टीकाराम और बाबूराम की हत्या करने के बाद मंगलवार को कठिना पुल के पास भरिगवां निवासी 60 वर्षीय जानकी प्रसाद को भी हमला कर मार दिया था। बाघ के हमलों में लगातार लोगों के मारे जाने के बाद वन विभाग को इसे आदमखोर घोषित करना पड़ा।

इसके साथ ही इसके लिए मौत की सजा मुकर्रर कर दी गई, लेकिन गिरफ्तारी के बाद अब  इसकी जान बच गई है। अब इसे लखनऊ के चिड़ियाघर में आजन्म कारावास की सजा काटनी पड़ेगी। उसे पिंजरे में बंद कर लखनऊ ले जाया गया है । बाघ के ताबड़तोड़ हमलों में ग्रामीणों की मौत से छेदीपुर और आसपास के गांवों में दहशत का माहौल था।

मंगलवार को जानकी प्रसाद की मौत के बाद ग्रामीणों ने पीलीभीत-बस्ती रोड पर शव रखकर प्रदर्शन कर जाम लगा दिया था। मृतक जानकी प्रसाद के आश्रितों को जब रेंजर डीएस यादव मिलने गांव पहुंचे तो ग्रामीणों ने उन्हें भी घेर लिया था। बाघ के बढ़ते आतंक और ग्रामीणों के गुस्से को देखते हुए बाघ को आदमखोर घोषित करना मजबूरी बन गई थी।

केनाइन टूटे होने की वजह से कर रहा था इंसानों पर हमला
बाघ को पकड़ने के लिए आई लखनऊ की टीम में शामिल वाइल्ड लाइफ विशेषज्ञ डॉ. मसूख चटर्जी ने फिलहाल बाघ को आदमखोर मानने से इंकार करते हुआ कहा कि लखनऊ में पूरी स्वास्थ्य जांच होने के बाद ही इस मामले में कुछ कहा जा सकेगा।

डॉ. चटर्जी के मुताबिक लगभग तीन से साढ़े तीन वर्ष के बाघ का ऊपर का दांत (केनाइन) टूटा हुआ है, हो सकता है कि बाघ इसी कारण बड़े शिकार को छोड़कर छोटे शिकार कर रहा हो। हालांकि उसने दो पड्डे भी मारे हैं, जिससे अभी कुछ कहना संभव नहीं है।

बता रहे थे बाघिन पकड़ा गया बाघ
वन विभाग के अधिकारी टाइगर मानीटरिंग के दौरान लगातार तीन ग्रामीणों की हत्या करने वाले जानवर को बाघिन बताते रहे। पगमार्क देखकर वन अधिकारियों ने दावा किया था कि हमलावर बाघिन है। वन विभाग के अधिकारियों ने तो यहां तक दावा किया था कि बाघिन गर्भवती है, लेकिन जब उसे ट्रैंकुलाइज किया गया वो बाघ निकला।

ऐसे में या तो वन विभाग सही ढंग से हमलावर जानवर की पहचान नहीं कर पाए या कहीं दूसरा बाघ तो ट्रैंक्युलाइज नहीं हो गया। यह सवाल लोगों के जेहन में घूम रहा है।

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