दुनिया कर रही है रमन के जज्बे को सलाम, सरकार बेखबर

रमनपानीपत| आठ साल के सुंदर, सलोने, चंचल रमन को देखकर हर कोई उसकी ओर खिंचा चला जाता है, लेकिन उसकी हालत देख दिल रो पड़ता है। एक पैर और दोनों हाथों से अपंग रमन दूसरों पर निर्भर है। ऐसा जन्मजात नहीं है, बल्कि यह उत्तर हरियाणा बिजली निगम की लापरवाही की सजा है। अदालती लड़ाई में रमन के खाते में यूं तो 60 लाख रुपये आ चुके हैं, किंतु मिलेंगे 21 साल का होने पर।

रमन है अपंग

विडंबना यह कि इस मासूम को कृत्रिम अंग के सहारे गति देने के लिए भी कोई संस्था या राजनेता आगे नहीं आया वाकया 3 नवंबर, 2011 का है। सनौली खुर्द गांव के मनोज शर्मा के मकान के साथ 11 हजार वोल्टेज का तार गुजर रहा था। बिजली निगम ने एक तार उनके मकान की छत पर बांध रखा था। करीब 4 साल का बेटा रमन छत पर खेल रहा था।

एकाएक वह इस तार की चपेट में आकर 65 फीसद तक झुलस गया। पहले सिविल अस्पताल तो बाद में पीजीआइ रोहतक में भी जवाब मिल गया। दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में रमन बच तो गया पर उसके दोनों हाथ और एक पैर काटने पड़े।

अमानवीयता की हद देखिए, बिजली निगम की ओर से मदद मिलना तो दूर, किसी ने उसका न हाल चाल पूछा न सहानुभूति दिखाई। राजनेता भी वोट मांगने तो पहुंचते रहे लेकिन रमन की मदद को किसी का हाथ न उठा। रमन अस्पताल से घर आ गया तो पिता ने बिजली निगम के खिलाफ पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में केस डाल दिया।

एक पैर से खेलता है क्रिकेट

तीसरी कक्षा में पढ़ रहे रमन को पिता गोद में उठाकर स्कूल लेकर जाते हैं। पैर से लिखता है। पैर की उंगलियों से कैरम बोर्ड व मोबाइल पर गेम खेलता है। रमन वीरेंद्र सहवाग का फैन है। क्रिकेटर बनना चाहता है। इसलिए एक पैर से ही क्रिकेट खेलता है।

प्रस्तुति- जितेन्द्र गिरी