मोदी ने संभाली यूपी की बागडोर, चली ऐसी चाल सब हो जाएंगे बेहाल
कानपुर। यूपी विधानसभा चुनाव के तीसरे चरण में जहां मतदाता अपने चहेते उमीदवारों की जीत दर्ज कराने के लिए जोरशोर से लाइन में लगे हुए थे, वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फतेहपुर में चौथे चरण के आगज की तैयारी में लगे दिखाई दिए। यहाँ उनके तेवरों को देखते हुए ऐसा लग रहा है कि मानों उन्हें ने यूपी की कमान अपने हाथों में ले ली हो। इतना ही नहीं यूपी में भाजपा को लाने की इस कोशिश में पीएम मोदी ने बड़ी सफाई से विरोधियों पर ‘मुस्लिम तुष्टिकरण’ का पुराना कार्ड चल दिया।
यूपी में भाजपा लागे के प्रयास में मोदी
ख़बरों के मुआताबिक यहां उनके निशाने पर सीधे तौर पर राहुल और अखिलेश रहे। उन्होंने अपने भाषण में एक बार भी बीएसपी का नाम नहीं लिया।
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, मोदी ने इशारों-इशारों में विरोधियों पर ‘मुस्लिम तुष्टिकरण’ का आरोप लगा बीजेपी का परंपरागत दांव खेल दिया है।
हालांकि प्रधानमंत्री ने सीधे-सीधे ‘मुस्लिम तुष्टिकरण’ शब्द का इस्तेमाल तो नहीं किया लेकिन वह श्मशान और कब्रिस्तान, रमजान और दिवाली की बात छेड़कर बेहद सावधानी से हिंदुत्व कार्ड खेलते नजर आए।
यहां मोदी ने धर्म विशेष का पुराना अजेंडा साफ कर दिया। वह MY (मुस्लिम-यादव) फैक्टर के उलट काम कर रहे हैं।
पूरे एक घंटे के भाषण में मोदी ने कहा, ‘गांव में अगर कब्रिस्तान बनता है तो श्मशान भी बनना चाहिए। सरकारों को भेदभाव रहित होना चाहिए। अगर रमजान में बिजली रहती है तो दिवाली पर भी बिजली आनी चाहिए।’
पॉलिटिकल एनालिस्ट के अनुसार, सब कुछ साफ है। यूपी चुनावों की बागडोर मोदी ने अपने हाथ में ले ली है।
पार्टी को लग रहा है कि मोदी फैक्टर काम कर रहा है। इस कारण मोदी ने बीजेपी के परंपरागत धर्म विशेष के वोटर्स को अपने साथ जोड़ने का दांव खुलकर खेल दिया है।
वह समाजवादी पार्टी के MY समीकरण से इतर दलित, कुर्मी और ब्राह्मण वोटर्स के बीच पूरी संभावनाएं तलाश रहे हैं।
इसकी एक और वजह पूर्वांचल और बुंदेलखंड में काफी सीटों पर यादव जाति का प्रभावी होना है। यहां चुनाव चौथे फेज से शुरू होगा। पूर्वांचल में MY वोटर्स साथ आ जाएं तो इनका वोट शेयर करीब 30 पर्सेंट होता है। बुंदेलखंड में भी कुछ ऐसा ही हाल है। ऐसे में कन्नौज के बाद फतेहपुर से दिया गया यह मेसेज दूर तक जाएगा।
बता दें चौथे फेज में जिन इलाकों में चुनाव है, उनमें किसान बहुल बुंदेलखंड क्षेत्र और फतेहपुर जैसे जिले हैं। कर्ज से दबे किसान और गरीबी यहां एक बड़ा मुद्दा है। कर्जमाफी और गरीबी का दर्द और दलित जैसी बातें कहकर उन्होंने किसानों और गरीबों की संवदेनाओं पर हाथ रखने की कोशिश की है। जमीन पर कब्जों की भी उन्होंने बात की। जो पूरे क्षेत्र में बड़ा मुद्दा है।