क्या है मासिक शिवरात्रि का महत्व और क्या है पूजा की विधि

हिन्दू पंचांग के अनुसार हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन मीसिक शिवरात्रि मनाई जाती है। इस बार यह एक जुलाई को है। इस दिन शिवजी की पूजा का महत्व है। शास्त्रों के अनुसार देवी लक्ष्मी, इंद्राणी, सरस्वती, गायत्री, सावित्री, सीता पार्वती ने भी शिवरात्रि का व्रत रख कर शिव की पूजा की थी।

मासिक शिवरात्रि

पौराणिक मान्यता है कि मासिक शिवरात्रि का व्रत करने से भगवान भोलेनाथ की विशेष कृपा से कोई भी मुश्किल और असम्भव कार्य पूरा किया जा सकता है। मासिक शिवरात्रि का व्रत शुरु करने वाले महा शिवरात्रि से इसे आरम्भ कर सकते हैं और एक साल तक कायम रख सकते हैं। श्रद्धालुओं को शिवरात्रि के दौरान जागे रहना चाहिए और रात्रि के दौरान भगवान शिव की पूजा करना चाहिए। अविवाहित महिलाएं इस व्रत को विवाहित होने हेतु एवं विवाहित महिलाएं अपने विवाहित जीवन में सुख और शान्ति बनाये रखने के लिए इस व्रत को करती है।

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पूजन विधि

भगवान शिव की पूजा प्रदोष काल में की जाती है। दिन के डूबने और रात्रि के मिलते हुए समय को प्रदोष काल कहा जाता है। शिवरात्रि के उपवास में अन्न ग्रहण नहीं किया जाता है। इस दिन दोनों वक्त फलाहार का ही महत्व होता है। शिव पूजा का फल तभी प्राप्त होता है जब पूजा के दौरान रुद्राभिषेक किया जाता है। इस दिन भगवान शिव के ध्यान के लिए विशेष रुप से भगवान शिव के सामने बैठकर ध्यान किया जाता है। शिव पूजा के लिए शिव पुराण, शिव पंचाक्षर, शिव स्तुति, शिव अष्टक, शिव चालीसा, शिव रुद्राष्टक और शिव श्लोक का पाठ किया जाता है।

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