एजेन्सी/ज्योतिष शास्त्र में जन्मकुंडली का विशेष महत्व है, जन्मकुंडली में दर्शाए गए विभिन्न ग्रहों की स्थिति का जातक के जीवन पर बड़ा महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है. ऐसे में जातक के लिए उनके बारे में जानना आवश्यक होता है। ज्योतिष शास्त्र में ऐसा ही एक ग्रह मंगल का विशेष प्रभाव होता है. यदि जन्मकुंडली में मंगल 4 थे, 6 ठे, 12 वें, 7 वें भाव में हो तो जातक मांगलिक होता है. मांगलिक होने पर जातक के विवाह में देरी होती है। उसे नौकरी आदि में भी कष्ट होता है, या नौकरी में वांछित सफलता देरी से मिलती है। मंगल को संतान, विवाह, नौकरी, भूमि आदि का दाता या कारक भी कहा गया है. भगवान मंगल यदि प्रसन्न नहीं होते हैं तो विशेष उपायों से उन्हें प्रसन्न करना पड़ता है, कई बार मंगल उपरोक्त भाव में होने पर कुंडली को मांगलिक माना जाता है. ऐसे में जातक को मंगल दोष निवारण करवाना पडता है। सामान्य तौर पर मंगल दोष कोई दोष नहीं होता। यह ज्यातिष की कोई स्थिति होती है. मंगल दोष से पीडि़त व्यक्ति यदि उज्जैन के श्री मंगलनाथ मंदिर में भात पूजन करवाए तो उसे लाभ हो सकता है. भात पूजन से मंगल दोषों का निवारण होता है. भात पूजन यूं तो केवल मंगलनाथ में होता है लेकिन उज्जैन के ही श्री अंगारेश्वर में भी भात पूजन करवाया जा सकता है, इस पूजन के बाद मंगल दोष निवारण हो जाता है और व्यक्ति के भाग्योदय में आ रही परेशानी दूर हो जाती है।
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