भारत-म्यांमार वार्ता में विकास सहायता व उग्रवाद से निपटने पर जोर
नई दिल्ली| प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को भारत-म्यांमार वार्ता में म्यांमार को आश्वासन दिया कि एक आधुनिक राष्ट्र बनने की दिशा में उसके हर कदम पर भारत उसका साथ देगा। साथ ही दोनों देशों ने क्षेत्र में आतंकवाद व उग्रवादी विद्रोह के खिलाफ लड़ाई में सहयोग पर सहमति जताई। भारत दौरे पर आए म्यांमार के राष्ट्रपति यू हटिन क्याव के साथ द्विपक्षीय वार्ता के बाद एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में मोदी ने कहा, “आपका महान देश एक नए युग में प्रवेश कर चुका है।”
म्यांमार लंबे समय तक सैन्य शासन के तहत रहने के बाद हाल ही में लोकतांत्रिक व्यवस्था के दायरे में आया है।
मोदी ने कहा, “एक युग जो आपके नेतृत्व की परिपक्वता तथा लोकतंत्र के प्रति आपके लोगों की प्रतिबद्धता से परिभाषित होता है।”
उन्होंने कहा, “और, इसके साथ ही है एक सुस्पष्ट दृष्टिकोण तथा क्षेत्र में म्यांमार को एक स्थिर व आर्थिक रूप से समृद्ध देश बनाने के लिए आपके नेतृत्व की मजबूत प्रतिबद्धता।”
इस साल मार्च में आंग सान सू की की लीग फॉर डेमोक्रेसी (एनएलडी) की सरकार के सत्ता में आने के बाद म्यांमार के राष्ट्रपति का यह पहला भारत दौरा है।
मोदी ने कहा कि म्यांमार की नई सरकार ने अपना सफर कृषि विकास, औद्योगिक व अवसंरचना के विकास, शिक्षा को मजबूत करने, युवाओं में कौशल को बढ़ाने, नए संस्थानों के निर्माण व मौजूदा संस्थानों को मजबूत करने और आर्थिक समृद्धि के लिए एक मजबूत पथ की तलाश के लिए शुरू किया है तथा देश को एक आधुनिक राष्ट्र बनाने की महत्वाकांक्षा को आगे बढ़ाया है।
उन्होंने कहा, “इस मार्ग में पग-पग पर भारत की 1.25 अरब आबादी आपके साथ साझेदार व मित्र के रूप में खड़ी है।”
मोदी ने कहा कि भारत के पड़ोसियों में म्यांमार का खास स्थान है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “म्यांमार हमारे लिए खास है। यह भारत के पड़ोसियों में अनूठा स्थान रखता है।”
उन्होंने कहा, “हमारे समाजों के बीच पुराने ऐतिहासिक और सांस्कृतिक जुड़ाव हमारे संबंधों का मजबूत आधार हैं।”
म्यांमार को एक खास स्थान पर रखते हुए मोदी ने कहा, “यह देश भारत और दक्षिणपूर्व एशिया को जोड़ने वाला एक भूमि सेतु है।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि दोनों देश परस्पर सामरिक हितों और चिंताओं के प्रति संवेदनशील बने रहने पर सहमत हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि दोनों देश क्षेत्र में आतंकवाद और उग्रवादी विद्रोही गतिविधियों से निपटने के लिए एक-दूसरे को सक्रिय रूप में मदद देंगे।
भारत ने सोमवार की वार्ता के दौरान ’21 वीं सदी पेंगलोंग सम्मेलन’ के तहत म्यांमार सरकार और म्यांमार के सशस्त्र जातीय संगठनों के बीच 31 अगस्त से होने वाली शांति वार्ता की पहल के लिए भी पड़ोसी देश को अपना पूरा समर्थन दिया।
पहले पेंगलोंग सम्मेलन का आयोजन सू की के पिता और तत्कालीन प्रधानमंत्री आंग सान ने साल 1947 में किया था।
मोदी ने कहा कि भारत संपर्क (कनेक्टिविटी), आधारभूत संरचना, क्षमता विनिर्माण, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और कई अन्य क्षेत्रों में म्यांमार की परियोजनाओं में शामिल है।
द्विपक्षीय वार्ता के बाद भारत और म्यांमार ने चार समझौतों पर हस्ताक्षर किए।
पहले समझौते में भारत, म्यांमार और थाईलैंड को जोड़ने वाले त्रिस्तरीय राजमार्ग के तामु-कलेवा खंड पर 69 सेतुओं का निर्माण शामिल है।
दूसरे समझौते के तहत त्रिस्तरीय राजमार्ग के कलेवा- यार्गी खंड को उन्नत किया जाएगा।
तीसरे और चौथे समझौते में अक्षय ऊर्जा तथा पारंपरिक दवा के क्षेत्र में सहयोग शामिल है।
इस साल अप्रैल में म्यांमार के तामू में विद्युत आपूर्ति की शुरुआत किए जाने का उल्लेख करते हुए मोदी ने कहा कि भारत अपने पूर्वी पड़ोसी देश में बिजली उत्पादन बढ़ाने को तैयार है।
उन्होंने कहा, “हम गत सप्ताह म्यांमार में आए भूकंप के दौरान क्षतिग्रस्त हुए पगोडा और अन्य ऐतिहासिक स्मारकों के जीर्णोद्धार के लिए भी तैयार हैं।”
राष्ट्रपति क्याव ने अपने बयान में कहा कि लोगों के समग्र सामाजिक आर्थिक विकास को लेकर दोनों पक्ष सहमत हैं।
चार दिवसीय भारत दौरे पर आए राष्ट्रपति क्याव शनिवार को बोधगया में थे। रविवार को उन्होंने आगरा में ताजमहल का दीदार किया।
मोदी के साथ बैठक से पहले विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने म्यांमार के राष्ट्रपति से मुलाकात की।