भगवान के सामने मशीन को भी माननी पड़ती है हार, जिसके पीछे जुड़ी है चौकाने वाली वजह

भगवान की एक मूर्ति को पिछले दो सालों से मंदिर तक नहीं पहुंचाया जा सका है। दरअसल, तमिलनाडु के तिरुवन्नामलाई जिले से भगवान विष्णु की पत्थर की मूर्ति को बेंगलुरु के एक मंदिर में पहुंचाया जाना है। भगवान विष्णु की इस 300 टन वजनी मूर्ति को अपनी जगह से हिलाने में दो साल लग गए हैं। तमाम कोशिशों के बाद भी ये काम अभी तक पूरा नहीं हो पाया है।

भगवान के सामने मशीन

पिछले कई दिनों से 64 फीट लंबी और 300 टन वजनी मूर्ति को बेंगलुरु तक पहुंचाने के लिए 240 टायरों वाला ट्रेलर भी मंगाया गया है लेकिन फिर भी कामयाबी नहीं मिल पाई है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, तीन दिनों में यह मूर्ति अभी सिर्फ 300 मीटर ही आगे बढ़ पाई है। इस के बाद ट्रेलर के कई टायर भी बदलने पड़े हैं।

इस मामले में तिरुवन्नामलाई के कलेक्टर केएस कंदसामी ने कहा कि भगवान विष्णु की इस मूर्ति को शिफ्ट करने में करीब 50 दिन लगेंगे। मूर्ति को बेंगलुरु तक पहुंचाने के लिए सरकार की ओर से कंदसामी को नोडल अफसर की जिम्मेदारी दी गई है। उन्होंने मौके पर पहुंचकर जायजा भी लिया और मंदिर प्रशासन से बात भी की।

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आपको बता दें कि मुंबई की लॉजिस्टिक फर्म रेशमासिंह ग्रुप का 30 सदस्य एक दल इस मूर्ति की शिफ्टिंग के काम में लगा है। जिन्हें मूर्ति को साइट से मेन रोड तक लाने के लिए मिट्टी वाली रोड से गुजरने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। वहां हुई बारिश ने इस काम को और मुश्किल बना दिया है।

रेशमसिंह ग्रुप के मैनेजर राजन बाबू का कहना है कि ट्रेलर जब उस 500 मीटर के मिट्टी और कीचड़ वाले रास्ते को पार कर लेगा और थेल्लर-देसुर रोड पर आ जाएगा तो उसे सामान्य स्पीड पर बिना किसी परेशानी के आगे बढ़ाया जा सकता है। बताया जा रहा है कि गांव तक 240 टायर वाला ट्रेलर पहुंचाने में ही कई दिन लग गए थे।

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एक रिटायर्ड गर्वंमेंट डॉक्टर का ख्वाब था कि वो बेंगलुरू के मंदिर में 108 फीट ऊंची विश्वरूप भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित कराएं। इस मूर्ति में 11 अवतार, 22 हाथ के साथ सात सिर वाले नागराज हों। डॉक्टर ने इस ख्वाहिश को पूरा करने के लिए पांच साल तक कड़ी मेहनत की थी।

 

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