बंगाल के मिठाई कारोबार पर नोटबंदी की मार, रसगुल्ला, संदेश हुआ कड़वा

मिठाई कारोबारकोलकाता। नोटबंदी की मार बंगाल के प्रसिद्ध मिठाई कारोबार के लिए कड़वा घूंट साबित हो रही है, और यहां के मिठाई प्रेमियों के लिए भी। कालेधन पर नकेल लगाने के लिए 500-1000 नोट बैन के फैसले के कारण बंगाल की प्रसिद्ध मिठाई रसगुल्ला का रस सूखने लगा है और संदेश का स्वाद कड़वा हो चला है।

मिठाई कारोबार से जुड़े कारोबारियों के मुताबिक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नोटबंदी के फैसले से शहर की सभी मिठाई की दुकानों का भविष्य अंधेरे में आ गया है। ज्यादा दिक्कत सड़क किनारे स्थित उन छोटे दुकानदारों को है, जिनके पास डेबिट/क्रेडिट कार्ड स्वीकार करने की सुविधा नहीं है। देश के पूर्वी छोर पर स्थित बंगाल राज्य अपनी स्वादिष्ट मिठाइयों के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है। यहां का मिठाई कारोबार सालाना लगभग एक लाख करोड़ रुपये का बिजनेस देता है।

शहर की प्राचीनतम मिठाई दुकान, हावड़ा स्थित मां गंधेश्वरी स्वीट्स इन दिनों नोटबंदी की समस्या से जूझ रही है। आज यह दुकान बंद होने के कगार पर पहुंच गई है। दुकान के मालिक प्रदीप हलदर ने कहा, ‘हमारा कारोबार बिल्कुल चौपट हो गया है और बंद होने के कगार पर है।’

उन्होंने कहा, ‘हमारी बिक्री 10,000 प्रतिदिन से घटकर 4,000 रुपये प्रतिदिन पर पहुंच गई है। चीनी जैसा कच्चा माल मुहैया कराने वाले नए नोट मांग रहे हैं और पुराने नोट नहीं ले रहे हैं। उन्होंने कहा कि यदि उन्हें नए नोट नहीं देंगे तो वे हमें कच्चा माल नहीं देंगे। हमारा पूरा कारोबार नकद में होता है।’

हलदर ने कहा, ‘यदि यह स्थिति बनी रही तो हमें कारोबार चलाने को लेकर पुनर्विचार करना पड़ेगा। ग्राहक 100 रुपये की मिठाई खरीदने के लिए 2000 रुपये के नए नोट दे रहे हैं। इसके चलते रसगुल्ला (सर्वाधिक लोकप्रिय मिठाई) सर्वाधिक प्रभावित हुआ है। बूढ़े से लेकर जवान तक सभी के लिए यहां का रसगुल्ला पसंदीदा है। लेकिन आज स्थिति उलट गई है। आज इसकी मांग घट गई है। हमें मजबूरन उत्पादन घटाना पड़ा है।’

रसगुल्ला के आविष्कारक माने जाने वाले प्रसिद्ध प्रतिष्ठान केसी दास प्राइवेट लिमिटेड के धीमान दास का कहना है कि उन्हें मांग में गिरावट के कारण उत्पादन दिनभर के लिए रोकना पड़ा है। दास ने कहा, ‘हमारी बिक्री में 30 प्रतिशत की गिरावट आ गई है और इस कारण हमें दिनभर के लिए उत्पादन रोकना पड़ा, क्योंकि मौजूदा मांग पूरी करने के लिए हमारे पास पर्याप्त स्टॉक था। रसगुल्ले की हमेशा अधिक बिक्री होती रही है। हमारे दूसरे उत्पाद संदेश के साथ भी स्थिति लगभग यही है।’

मिठाई के इस प्रमुख प्रतिष्ठान की दुकानें एस्प्लेनेड, राशबिहारी एवेन्यू, जोधपुर पार्क, लेक टाउन और श्यामाबाजार में हैं। यह दक्षिण भारत के कर्नाटक व तमिलनाडु जैसे इलाकों में भी अपने कारोबार संचालित करता है। अच्छी बात यह है कि इस प्रतिष्ठान के पास डेबिट कार्ड/क्रेडिट कार्ड स्वीकारने की सुविधा है।

दास ने कहा, ‘इस महीने की 10 तारीख के बाद से क्रेडिट कार्ड भुगतान के जरिए बिक्री सामान्य करने में मदद मिली है और इसके कारण स्थिति थोड़ी सुधरी है। क्रेडिट कार्ड के जरिए भुगतान में 241 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।’ लेकिन छोटे दुकानदारों की यह स्थिति नहीं है। देश में प्रचलित 86 प्रतिशत मुद्रा अवैध हो जाने से उनकी स्थिति दयनीय हो गई है।

नेताजी नगर में स्थित लोकप्रिय मिठाई दुकान, कमला मिष्ठान्न भंडार के मालिक स्वराज पाल ने कहा, ‘नोटबंदी के बाद हमारा कारोबार आधा हो गया है। रसगुल्ला के साथ ही अन्य मिठाइयों की स्थिति यही है।’ उन्होंने कहा, ‘हम जिसे जानते हैं उसे बिना पैसे लिए मिठाई बेच रहे हैं, इस उम्मीद में कि वे बाद में हमें भुगतान कर देंगे। हमें ऐसा इसलिए करना पड़ रहा है, क्योंकि यहां मिठाई खरीदने आ रहे अधिकांश लोग कह रहे हैं कि उनके पास पर्याप्त पैसे नहीं हैं।’ हालांकि पाल भी अब अन्य कारोबारियों की तरह उन लोगों से 500 रुपये और 1000 रुपये के पुराने नोट स्वीकार कर रहे हैं, जो इतनी धनराशि की खरीददारी करते हैं।

उन्होंने कहा, ‘जी हां, हम जिन्हें जानते हैं उनके साथ ऐसा कर रहे हैं, क्योंकि नुकसान उठाने से तो यह अच्छा है। हम बाद में इन पुराने नोटों को बदल लेंगे, क्योंकि अभी इसके लिए पर्याप्त समय है।’

हालांकि, पाल इस पहल की सराहना भी करते हैं। उन्होंने कहा कि मैं इस कदम को गलत नहीं कहूंगा। काले धन पर लगाम लगेगा। हमें शुरुआत में परेशानी हो रही है, लेकिन ठीक है।

दक्षिण कोलकाता के भवानीपुर में स्थित प्रसिद्ध मिठाई की दुकान, श्री दुर्गा स्वीट्स भी नोटबंदी से बेहाल है। इस प्रतिष्ठान के एक वरिष्ठ कर्मचारी ने कहा, ‘हमारे पास पांच रुपये और 10 रुपये कीमत के रसगुल्ले हैं, जिनकी पूरे साल मांग रहती है। कार्तिक पूजा (गुरुवार को मनाया गया) के समय हमारी आमतौर पर अच्छी कमाई होती है। लेकिन इस साल का परिदृश्य बिल्कुल अलग है।’ उन्होंने कहा कि अभी भी अधिकांश ग्राहक 500 रुपये के पुराने नोट लेकर आ रहे हैं और रसगुल्ला प्रेमी अपनी जेब से 100 रुपये का नोट खर्च करने से बच रहे हैं, क्योंकि नोटबंदी के बाद यह नोट मूल्यवान हो गया है। हमारे पास कार्ड स्वीकारने की सुविधा नहीं है, और यह भी हमारी एक समस्या है।

उन्होंने कहा, ‘हमें अपने कर्मचारियों और कच्चा माल आपूर्ति करने वालों को भुगतान करने में कठिनाई हो रही है। पूरा कारोबार नकदी में होता है, और हम इस समय भयानक नकदी संकट से जूझ रहे हैं।’

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