गरीबों और बड़े-बुजुर्गों की सेवा से खुश होते हैं पितर

पितृ पक्षआज से श्राद्ध शुरु हो रहे हैं। हिन्दू धर्म में वर्ष के सोलह दिनों को अपने पितृ या पूर्वजों को समर्पित किया गया है जिसे पितृ पक्ष या “श्राद्ध पक्ष” कहते हैं इसे महालय के नाम से भी जाना जाता है। ऐसा मानते हैं कि इस पक्ष में गरीबों की सेवा से आपके पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। यह पितृपक्ष 30 सितम्बर तक होगा।

भाद्रपद मास की पूर्णिमा तिथि से अश्विन कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि तक पितृ पक्ष उपस्थित रहता है। पितृ पक्ष का वास्तविक तात्पर्य अपने पूर्वजों के प्रति अपनी श्रद्धा को प्रकट करना है इसीलिए इसे “श्राद्ध पक्ष” या श्राद्ध का नाम दिया गया है यहाँ एक विशेष बात यह भी है कि प्रत्येक वर्ष अश्विन मास के कृष्ण पक्ष के समय ज्योतिषीय दृष्टि से सूर्य कन्या राशि में स्थित रहता है अतः सूर्य के इस समय कन्या-गत (कन्या राशि में गतिमान) होने के कारण ही पितृ पक्ष को “कनागत” के नाम से भी जाना जाता है।

यहां हम आपको वह उपाय बताने जा रहे हैं जिनके द्वारा आप अपने पितरों को प्रसन्न कर उनके आशिर्वाद के भागीदार बन सकते हैं, याद रखें जिस घर पर या जिस इंसान पर उसके पितरों की कृपादृष्टि मिल जाती है वह घर और इंसान सभी तरह के सुखों को प्राप्तं कर लेता है।

सबसे पहले जो जरूरी बात है वह यह कि आप के घर में जो भी बड़े लोग या बुजुर्ग लोग हैं उनसे अच्छे से अच्छा व्यवहार करें, उनकी सेवा करें और आशिर्वाद प्राप्त् करें।

अपने घर की महिलाओं का सम्‍मान करें और घर से बाहर की औरतों को भी सम्मान की दृष्टि से देखें तथा उनसे विनम्रता से पेश आएं, खास तौर से अपनी माता जी की या फिर माता तुल्य  अन्य स्त्रियों की सेवा करें।

अपने आस-पड़ोस के गरीब लोगों की सहायता और सेवा करें। हो सके तो उन्हे  दान दें । दान में वस्त्र, भोजन कराना और धन देकर भी  मदद की जा सकती है।

गाय और कौवा तथा अन्य पक्षियों को भोजन कराएं, दाना डालें।

अगर आप किसी कंपनी या फैक्‍टरी के मालिक हैं या ऊंचे पद पर कार्यरत हैं तो अपने से कनिष्ठ कर्मचारियों की सहायता करें तथा उनसे विनम्रता से पेश आएं। उनकी परेशानियों को दूर करने का प्रयास करें।

सवा लाख पितृ गायत्री का पाठ कराएं या खुद सात बार गायत्री पाठ पढ़े। कोऐ, कुत्ते को सफेद चीजे खिलाएं। तर्पण, पिंड दान करे। गंगा स्नान करें। काले तिल बहते जल में प्रवाहित करें।

वृद्धा आश्रम में या किसी गरीब वृद्ध को सफेद वस्त्रों का दान दें। ब्राहम्ण को दूध, खीर का दान करें। पितरों की मनपसंद की चीजें किसी भी ब्राह्मण को दें। प्रतिदिन गाय के घी का दीपक जलाएंं।

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