
हम लोग जिसे पसंद नहीं करते हैं उसको चाय पिलाना तो दूर उसकी शक्ल तक देखना पसंद नहीं करते हैं। लेकिन यदि आपको किसी ऐसे शख्स के बारे में पता चले जो अपने से नफरत करने वालों को कॉफी पीने बुलाता हो तो आपका पर कुछ अजीब भाव बनने स्वाभाविक हैं। लेकिन हम ऐसा केवल मजे लेने के लिए नहीं कह रहे हैं बल्कि यह एक हकीकत है।
यह हकीकत डेनमार्क में पिछले कुछ माह से एक मुहिम में बदल चुकी है। वहां पर ये मुहिम चलाने वाली कोई और नहीं बल्कि डेनमार्क की पहली मुस्लिम सांसद हैं, जिनका नाम ओजलेम सारा है। उनके यहां पर जिक्र करने की वजह डेनमार्क में चर्चा में बन रहा कॉफी विद हैटर्स है। इन दिनों यह अभियान काफी चर्चा में है।
तुर्की में जन्मी ओजलेम के पिता ने आर्थिक तंगी की वजह से अपना वतन छोड़कर जर्मनी में शरण ली थी। ओजलेम का जीवन काफी संघर्ष में बीता। जर्मनी के बाद उनके पिता डेनमार्क आकर बस गए। हर जगह उनका और उनके पिता का जिंदगी को लेकर संघर्ष भी जारी रहा।
डेनमार्क में रहकर उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी की। लेकिन हर वक्त उनको यह अहसास कराया जाता था कि वह उस देश की नहीं हैं और बाहर से आई हैं। उनकी नफरत की कहानी यहीं पर खत्म नहीं हुई।
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बहरहाल, तमाम मुश्किलों के बावजूद उन्होंने नर्सिंग में डिग्री हासिल की। इस दौरान वह सामाजिक मुद्दों को लेकर अपनी आवाज उठाती रहीं। नस्ली भेदभाव पर उन्होंने लोगों को जागरूक करने का काम किया। यहां से ही उनकी राजनीति की भी शुरुआत हुई।
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सोशलिस्ट पीपुल्स पार्टी से जुड़ने के बाद वर्ष 2004 में उन्हें पार्टी की सेंट्रल कमेटी के लिए चुना गया। इसके बाद उन्होंने पार्टी प्रवक्ता के पद की भी जिम्मेदारी निभाई। वर्ष 2007 में वह डेनमार्क की पहली मुस्लिम महिला सांसद बनीं। लेकिन यहां पर भी उनकी मुश्किलें खत्म नहीं हुईं।