जर्जर हो चुकी रेलवे कॉलोनी में रहने को मजबूर कर्मचारी, रेलवे प्रशासन मौन

रिपोर्ट- नीरज श्रीवास्तव/लखनऊ

मानसून आने के बाद भी रेलवे विभाग की आंखें नहीं खुली है रेलवे विभाग के अधिकांश मकान जर्जर हो चुके हैं यहां पर रेल कर्मियों के लिए रहना किसी खतरे से कम नहीं है.

फतेह इतनी कमजोर है कि बारिश के दिनों में पानी टपकता है इस कारण लोगों ने छतों पर पानी डाली है इतना ही नहीं दीवारों से उभरता प्लास्टर टूटे दरवाजे व खिड़कियां जगह-जगह लगे कूड़े के ढेर में जाति नालियां छतों पर उगे पेड़ या हाल है.

खँडहर बनी रेलवे कॉलोनी

आलमबाग स्थित रेलवे की एल डी कॉलोनी का रेलवे विभाग कॉलोनी लगभग 50 साल पुरानी है 822 मकान है 716 टाइप 1, 154 टाइप 2, जिसमें अधिकांश मकान जर्जर हो चुके हैं और कर्मचारी इन्हीं में रहते हैं।

यहां रहने वाले लोगों ने बताया कि लगभग 1 वर्ष है रेलवे प्रशासन को लिखित सूचना देने के बाद भी हम लोग यहां पर इस तरह रहने को मजबूर हैं क्योंकि रेलवे प्रशासन इस तरफ कोई ध्यान नहीं दे रहा है.

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हम लोगों को हमेशा डर सताता है कि दरवाजे खिड़कियां ना होने से कभी भी चोरी हो सकती है जगह-जगह प्लास्टर टूट के गिर रहा है कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है लेकिन हम लोगों के पास इसके अलावा यार रहने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं है।

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