किराये के सैनिकों के दम पर रौब झाड़ता है ये देश, लेकिन भारत से नहीं ले रहा पंगा…

आपने युद्ध में लड़ाई करने वाली किसी देश की सेना के बारे में सुना होगा लेकिन क्या आपने कभी किराए की सेना के बारे में सुना है। जी हां, ये सच है। दुनिया में एक ऐसे देश के बारे में खुलासा हुआ है जो किराए पर सेना उपलब्ध कराता है। ये देश दुनिया में कहीं भी, कभी भी लड़ने के लिए सेना देता है।

किराये के सैनिकों

बदले में मदद चाहने वाले देशों को मोटी कीमत अदा करनी पड़ती है। आपको लग रहा होगा कोई आतंकी देश ऐसा करता होगा। लेकिन हम आपको बता दें कि ऐसा करने वाला देश कोई और नहीं, बल्कि भारत का सबसे वफादार दोस्त रूस है।

जी हां, आपको शायद यकीन न हो लेकिन ये सच है कि दुनिया के सबसे ताकतवर देशों में से एक रूस किराए की सेना उपलब्ध कराता है। एक खुलासे में इस बात का पता चला है कि रूस कई देशों को जंग लड़ने के लिए किराए पर अपनी सेना देता है।एक रिपोर्ट में इस बात का खुलसा किया गया है कि सीरिया में आईएसआईएस आतंकियों को खदेड़ने के लिए रूस ने किराए की सेना का सहारा लिया।

इसके बाद रुस पूरी दुनिया में अलग-थलग पड़ता नजर आ रहा है। अब आरोप लगाया जा रहा है कि यूक्रेन में भी रूस ने इसी किराए की सेना की मदद से कोहराम मचाया था। क्रीमिया में लड़ने वाले सैनिक असल में रूस के अपने सैनिक नहीं थे, बल्कि छलावे के सैनिक थे। रिपोर्ट में कहा गया है कि यूक्रेन की जंग में ये विद्रोहियों के साथ लड़े। अब ये सूडान और मध्य अफ्रीकी देशों में विद्रोहियों से लड़ रहे हैं। कहा जा रहा है कि ये सैनिक पीएमसी वैग्नर सैनिक हैं।

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रुस में प्राइवेट मिलिट्री कॉन्ट्रैक्टर है जो ये सैनिक उपलब्ध कराता है। यह निजी सैन्य कंपनी है, जो किराए के सैनिक भर्ती करती है और ट्रेनिंग देकर तैयार करती है। उसके बाद यह सेना अपने क्लाइंट के लिए जंग के मैदान में उतर जाती है।

ये किराए के सैनिक कई देशों को अपनी सेवाएं दे चुके हैं। ये कहीं भी, कभी भी और किसी के लिए भी लड़ सकते हैं। बदले में इन्हें मोटे पैसे मिलते हैं। अब तक ये किराए के सैनिक रशियन आर्मी, सीरियन फोर्स और ईरानी आर्म्ड फोर्स के लिए लड़ाई लड़ चुके हैं।

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इस्लामिक स्टेट, अल-नुसरा फ्रंट, फ्री सीरियन आर्मी और यूक्रेन जैसे देशों की सेनाओं से ये सेना युद्ध लड़ चुकी है और जीत भी चुकी है। 2011 से लेकर 2014 तक जब आईएसआईएस ने सीरिया के ज़्यादातर हिस्से को अपने कब्ज़े में ले लिया था, लेकिन इस किराए की सेना ने मैदान में उतरने ही आईएसआईएस के लड़ाकों को धूल चटा दी।

इस बारे में जानकरों का कहना है कि रूस में सेना रखने से संबंधित नियम दूसरे देशों के उलट काफी लचीले हैं। रूस में प्राइवेट सैन्य कंपनियां लीगल हैं। रक्षा क्षेत्र के जानकरों का मानना है कि ऐसा करने के पीछे मकसद यह है कि जब भी युद्ध हो, किसी भी आपात स्थिति से निपटा जा सके।

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