
नई दिल्ली| केंद्रीय कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने शुक्रवार को कहा कि सरकार को तीन तलाक विधेयक पर राज्यसभा में सभी दलों से सहयोग मिलने की उम्मीद है।

राज्यसभा में सरकार के पास बहुमत नहीं है और तीन तलाक पर पिछला विधेयक विपक्ष के कारण अटक गया था। उन्होंने कहा कि गुरुवार को लोकसभा में तीन तलाक बिल पर बहस के दौरान बहस में शामिल सभी सदस्यों ने इस प्रथा को गलत बताया और कहा कि इसे बंद होना चाहिए।
सरकार ने गुरुवार को निचले सदन में चार घंटों की बहस के बाद विपक्ष के बहिर्गमन के बावजूद मुस्लिम महिला (विवाह के अधिकारों की रक्षा) विधेयक 2018 पारित करा लिया था।
एक सवाल के जवाब में प्रसाद ने कहा, “मैं यहां इस पर चर्चा नहीं करूंगा कि राज्यसभा में हमारी रणनीति क्या होगी। लेकिन हमें उम्मीद है कि सभी दल समझेंगे कि यह राजनीतिक विरोध का मुद्दा नहीं है। उन्हें यह समझना चाहिए कि यह तीन तलाक की पीड़िताओं को न्याय दिलाने के लिए है।”
उन्होंने कहा, “इस विधेयक को वोट बैंक की नजर से नहीं देखना चाहिए। लोकसभा में बहस में प्रत्येक वक्ता ने माना कि तीन तलाक गलत है, लेकिन वे नहीं चाहते कि इसे अपराध माना जाए। मुझे ये तर्क विचित्र लगता है।”
उन्होंने कहा कि अगर इसका निवारण नहीं किया गया तो यह प्रथा चलती रहेगी।
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विधेयक में अपनी पत्नी को तत्काल तलाक देने वाले पति के लिए तीन साल के कारावास का प्रावधान रखा गया है।
प्रसाद ने कहा कि उच्च सदन की परिपक्वता और मुद्दे की संवेदनशीलता को देखते हुए सरकार को राज्यसभा में अन्य दलों से सहयोग मिलने की उम्मीद है।
विपक्ष की मांग है कि यह विधेयक इसके सभी पहलुओं पर चर्चा के लिए संसद की संयुक्त चयन समिति में भेजा जाए। सरकार इस प्रस्ताव पर राजी नहीं है और इसलिए कांग्रेस और कुछ अन्य दलों ने गुरुवार को लोकसभा में इस पर चर्चा के दौरान बहिर्गमन किया था।





