यूपी चुनाव में इस बार ताल ठोंकते नज़र आएंगे खनन व शिक्षा माफिया
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में वर्ष 2017 में होने वाले विधानसभा में इस बार शिक्षा माफिया व खनन माफिया भी अपनी किस्मत आजमाते नजर आएंगे। इसका खुलासा चुनाव सुधारों के लिए काम कर रही संस्था एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफार्म (एडीआर) व उत्तर प्रदेश इलेक्शन वाच ने किया है।
एडीआर के उप्र संयोजक जुड़े संजय सिंह ने मंगलवार को पत्रकारों से बातचीत के दौरान आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर कई रोचक खुलासे किए। उन्होंने बताया कि इस बार के विधानसभा चुनाव में संभावित उम्मीदवारों में डॉक्टर, प्राध्यापक व अधिवक्ताओं की संख्या कम रहेगी, जबकि इसके विपरीत शिक्षा व खनन माफिया हावी रहेंगे।
उन्होंने बताया कि एडीआर ने सर्वे का ब्यौरा 60 विधानसभाओं से लिया है, जिसमें लगभग 10 हजार लोगों की राय शामिल की गई है। सर्वे में जो बात सामने आई, वह काफी चौंकाने वाली थी।
एडीआर के सर्वे के मुताबिक, 2200 उम्मीदवारों में ज्यादातर खनन और चिटफंड, शिक्षा क्षेत्र से जुड़े माफिया शामिल हैं। सर्वे के दौरान उप्र को पांच भागों- बुंदेलखंड, पश्चिमी उप्र, अवध, गोरखपुर, और बनारस में बांटा गया था।
उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश की विधानसभा में जहां आजादी के बाद वकीलों, शिक्षकों व अन्य दक्ष पेशेवरों की बहुतायत थी, वहीं सालों बाद इनकी संख्या में कमीं आई है।
यूपी इलेक्शन के संयोजक ने बताया कि 1952 में जब पहला चुनाव हुआ था, तब 90 प्रतिशत बुद्धिजीवी और स्वतंत्रता सेनानियों ने भाग लिया था, लेकिन इसके बाद 1990 से स्तर में कमी आती गई, जो अभी तक बरकरार है।
एडीआर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) अनिल वर्मा ने बताया कि इस बार चुनाव मैदान में ताल ठोकने वाले तैयार ज्यादातर लोगों की प्रष्ठभूमि बहुत उजली नहीं है। अध्ययन में यह सामने आया है कि विधासभा में उम्मीदवारी की दावेदारी ठोक रहे लोगों में 21 प्रतिशत तादाद उनकी है, जो ठेकेदारी में संलग्न है।
बकौल वर्मा, “18 प्रतिशत लोग बिल्डर है, जबकि 17 फीसदी लोग निजी शिक्षण संस्थाएं चलाकार धनोपर्जन कर रहे हैं। चिटफंड कंपनियां चला रहे व खनन धंधे से जुड़े लोग भी विधायक बनने की होड़ में पीछे नहीं हैं।”
सूबे की विधानसभा में पहुंचने का ख्वाब देख रहे संभावित उम्मीदवारों में 13 प्रतिशत खनन का कारोबार तो 15 प्रतिशत लोग चिटफंड कंपनियां चला रहे हैं।
वर्मा ने बताया कि रिपोर्ट तैयार करने से पहले किए गए सर्वे में यह बात भी सामने आई कि चुनाव लड़ने के इच्छुक इन उम्मीदवारों के व्यवसाय व शैक्षिक योग्यता संबंधी जानकारी प्रदेश की विभिन्न विधानसभाओं में सर्वे के जरिए जुटाई गई है।
उन्होंने बताया कि विधानसभा चुनाव 2017 के संदर्भ में उप्र इलेक्शन वॉच एडीआर ने पिछले 1 वर्ष से मतदाता जागरूकता एवं चुनाव सुधार के लिए विभिन्न प्रयास किए हैं। इसके तहत यूपी के 60 जिलों में जिला निगरानी समितियों का गठन किया है। बुंदेलखंड के 19 विधानसभाओं में 95000 लोग चुनाव सुधार एवं मतदाता जागरूकता के विशेष अभियान से जोड़े गए हैं।