केंद्र सरकार ने आरटीआई पर दिया बड़ा झटका, नहीं होगा कोई बदलाव

आरटीआई के लिए शुल्कनई दिल्ली। केंद्र ने बुधवार को सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम से संबंधित मीडिया में आई खबरों को ‘भ्रामक’ करार दिया और कहा कि आरटीआई के लिए शुल्क या शब्द संख्या में कोई बदलाव नहीं किया गया है। सरकार ने कहा कि वह आरटीआई कानून पूर्ण रूपेण और सहज रूप में लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है।

कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय ने एक बयान में कहा, “मीडिया के एक वर्ग में तथ्यात्मक रूप से गलत और भ्रामक खबर आई थी कि आरटीआई के लिए नए नियम बनाए गए हैं, जिनसे सरकार से सूचना प्राप्त करने के नागरिकों के अधिकार में परेशानियां पैदा होंगी।”

बयान के मुताबिक, “आरोप लगाया गया है कि आरटीआई की जानकारी को केवल 500 शब्दों की सीमा में बांध दी गई है और नियमों में गलत तरीके से शुल्क में वृद्धि का प्रावधान पेश किया गया है।”

कांग्रेस ने सोमवार को नरेंद्र मोदी सरकार पर आरटीआई अधिनियम का उल्लंघन करने का आरोप लगाते हुए कहा कि नए मसौदा नियम प्रशासन को 500 से अधिक शब्द होने पर किसी आरटीआई आवेदन को रद्द करने और साथ ही आवेदनकर्ता पर भारी शुल्क लगाने का अधिकार देता है।

मंत्रालय के बयान के अनुसार, “वर्तमान नियमों की प्रति कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग की आधिकारिक वेबसाइट पर मौजूद है। नियमों के मुताबिक सामान्य तौर पर आरटीआई आवेदन 500 से अधिक शब्दों (अपवाद के अधीन) में नहीं होना चाहिए और इसके लिए हर आवेदनकर्ता से एक मामूली शुल्क लिया जाएगा। ये नियम 2012 में बनाए गए थे और अधिसूचित किए गए थे।”

बयान के मुताबिक, “हालांकि, केंद्रीय सूचना आयोग (प्रबंधन) कानून, 2007 की वैधता को दिल्ली उच्च न्यायलय में चुनौती दी गई थी और इसे रद्द कर दिया गया था।’

मंत्रालय के मुताबिक, मामला सर्वोच्च न्यायालय में लंबित है।

बयान के मुताबिक, “इसलिए सरकार ने सीआईसी की सलाह से यह फैसला किया था सीआईसी के प्रमुख प्रावधानों और 2012 के नियमों को मिलाकर व्यापक नियम अधिसूचित किए जाएं।”

बयान के मुताबिक, “आरटीआई 2012 के नियमों के प्रमुख प्रावधानों को अक्षरक्ष: शामिल किया गया है। आरटीआई के शुल्क में कोई बदलाव नहीं किया गया है। सरकार आरटीआई कानून पूरी तरह और आसानी से लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है।”

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