आज दुनियाभर में अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस मनाया जा रहा है। आज की के दिन दुनियाभर के मजदूरों ने एक होकर अपने हक़ के लिए आवाज़ उठाई थी। वे कुछ ऐसे अधिकार चाहते थे जिससे उनकी जिंदगी भी किसी आम इंसान की तरह बन सके क्योंकि इससे पहले मजदूरों की हालत ख़राब थी। सन 1914 से पहले मजदूरों से 21 घंटों से भी ज्यादा काम कराया जाता था।
ऐसे में दुनियभर में सभी कंपनियां, फैक्ट्री 21 घंटों तक मजदूरों से काम लेती थीं लेकिन 1 मई 1914 में को कार निर्माता कंपनी फोर्ड ने अपनी फैक्ट्री में काम करने वाले मजदूरों के लिए 8 घंटे काम का नियम लागू किया। फोर्ड के इस फैसले को देखते हुए धीरे-धीरे दुनिया की सभी कंपनियों के यह नियम लागू कर दिया।
बता दें कि अंतर्राष्ट्रीय मज़दूर दिवस या मई दिन मनाने की शुरूआत 1 मई 1886 है। इसी सन में अमरीका के मज़दूर यूनियनों ने काम का समय 8 घंटे से ज़्यादा न रखे जाने के लिए हड़ताल की थी।
दुनयाभर के देशों के मजदूरों ने अपनी शिफ्ट को 8 घंटे करने के लिए जगह-गजह हड़ताल किए। इस तरह की हड़ताल के दौरान शिकागो की हेमार्केट में बम धमाका हुआ था। यह बम धमाका किसने करवाया इस बात का पता नहीं चल सका।
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इसके निष्कर्ष के तौर पर पुलिस ने मज़दूरों पर गोली चला दी और सात मज़दूर मारे गए। दुनिया के कई देशों में इसी तरह के संघर्ष हुए। लेकिन कार कंपनी फोर्ड पहली ऐसी कंपनी बनी जिसने अपने मजदूरों की शिफ्ट 8 घंटे की तय की।
इसी क्रम में कुछ समय के बाद अमेरिका में 8 घंटे काम करने का समय निश्चित कर दिया गया था। मौजूदा समय भारत और अन्य देशों में मज़दूरों के 8 घंटे काम करने से संबंधित कानून लागू है।