आज का पंचाग, वामन जयन्ती आपके लिए मंगलमय हो, 13 सितम्‍बर 2016, दिन-मंगलवार

आज का पंचागमंगलवार के दिन तेल मर्दन (मालिश) करने से आयु घटती है।(मुहूर्तगणपति)

मंगलवार के दिन क्षौरकर्म (बाल – दाढी काटने या कटवाने)करने आयु क्षीण होती है। (महाभारत अनुशासन पर्व) मंगलवार के दिन हनुमानजी की अर्चना करनी चाहिए।

विक्रम संवत् – 2073

संवत्सर – सौम्य तदुपरि साधारण

शक – 1938

अयन – दक्षिणायन

गोल – उत्तर

ऋतु – वर्षा

मास – भाद्रपद

पक्ष – शुक्ल

तिथि – द्वादशी रात्रि 04:00 बजे तक तदुपरांत त्रयोदशी।

नक्षत्र- उत्तराषाढ़ा प्रातः 08:09 बजे तक तदुपरान्त श्रवण।

योग- शोभन दिन में 09:32 बजे तक तदुपरान्त अतिगण्ड।

दिशाशूल – मंगलवार को उत्तर दिशा और वायव्यकोण का दिशाशूल होता है यदि यात्रा अत्यन्त आवश्यक हो तो गुड़ का सेवनकर प्रस्थान करें।

राहुकाल (अशुभ) – दिन 03:00 बजे से 04:30 बजे तक।

सूर्योदय – प्रातः 05:53।

सूर्यास्त – सायं 06:10।

पर्व त्यौहार – एकादशी व्रत की पारणा, पद्मा एकादशी व्रत वैष्णवों के लिए, वामन द्वादशी, श्रावण द्वादशी व्रत, श्री विष्णु परिवर्तनोत्सव, भुवनेश्वरी जयन्ती।

विशेष- दुग्ध त्याग व्रतारम्भ, दधि दान, शक्र ध्वजोत्थापन ।

मुहूर्त- रक्त वस्त्र प्रवाल धारण, पूर्व दक्षिण दिशा की यात्रा।

द्वादशी को पूतिका (शरपुतिया) का सेवन करने से सन्तान का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण ब्रह्मा खण्ड 27:29-34)

“दधिं भाद्रपदे त्यजेत्।।
भाद्रपद मास में दही का सेवन नहीं करना चाहिए।।

वामन जयंती भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी को मनाई जाती है। द्वादशी तिथि के दिन मनाये जाने के कारण ही इसे ‘वामन द्वादशी’ भी कहा जाता है। धर्मग्रंथों के अनुसार इसी शुभ तिथि को श्रवण नक्षत्र के अभिजित मुहूर्त में भगवान श्रीविष्णु के एक रूप भगवान वामन का अवतार हुआ था। इस तिथि पर मध्याह्न के समय भगवान का वामन अवतार हुआ था, उस समय श्रवण नक्षत्र था।भागवत पुराण में ऐसा आया है कि वामन श्रावण मास की द्वादशी पर प्रकट हुए थे, जबकि श्रवण नक्षत्र था, मुहूर्त अभिजित था तथा वह तिथि विजयद्वादशी कही जाती है।

वामन जयंती कथा :-

वामन अवतार भगवान विष्णु का महत्त्वपूर्ण अवतार माना जाता है। भगवान की लीला अनंत है और उसी में से एक वामन अवतार है। इसके विषय में श्रीमद्भगवदपुराण में विस्तार से उल्लेख है। हरदोई को हरिद्रोही भी कहा जाता है क्योंकि भगवान ने यहां दो बार अवतार लिया, एक बार हिरण्याकश्यप वध करने के लिये नरसिंह भगवान रूप में तथा दूसरी बार भगवान वामन रूप रखकर।

देव-असुर युद्ध- वामन अवतार की कथानुसार देव और दैत्यों के युद्ध में दैत्यपराजित होने लगे थे। पराजित दैत्य मृत एवं आहतों को लेकर अस्ताचल चले जाते हैं और दूसरी ओर दैत्यराज बलिइन्द्र के वज्र से मृत हो जाते हैं। तब दैत्यगुरु शुक्राचार्य अपनी मृतसंजीवनीविद्या से बलि और दूसरे दैत्यों को भी जीवित एवं स्वस्थ कर देते हैं। राजा बलि के लिए शुक्राचार्य एक यज्ञ का आयोजन करते हैं तथा अग्नि से दिव्य रथ,बाण, अभेद्य कवच पाते हैं। इससे असुरों की शक्ति में वृद्धि हो जाती है और असुर सेना अमरावती पर आक्रमण कर देती है।
बलि द्वारा भूमिदान- वामन अवतारी श्रीहरि, राजा बलि के यहाँ भिक्षा माँगने पहुँच जाते हैं। ब्राह्मण बने विष्णु भिक्षा में तीन पग भूमि माँगते हैं। राजा बलि दैत्यगुरु शुक्राचार्य के मना करने पर भी अपने वचन पर अडिग रहते हुए, विष्णु को तीन पग भूमि दान में देने का वचन कर देते हैं।

वामन रूप में भगवान एक पग में स्वर्गादि उर्ध्व लोकों को ओर दूसरे पग में पृथ्वी को नाप लेते हैं। अब तीसरा पग रखने को कोई स्थान नहीं रह जाता। बलि के सामने संकट उत्पन्न हो जाता है कि वामन के तीसरा पैर रखने के लिए स्थान कहाँ से लाये। ऐसे में राजा बलि यदि अपना वचन नहीं निभाए तो अधर्म होगा। आखिरकार बलि अपना सिर भगवान के आगे कर देता है और कहता है तीसरा पग आप मेरे सिर पर रख दीजिए। वामन भगवान ठीक वैसा ही करते हैं और बलि को पाताल लोक में रहने का आदेश करते हैं।

बलि सहर्ष भगवदाज्ञा को शिरोधार्य करता है। बलि के द्वारा वचन पालन करने पर भगवान विष्णु अत्यन्त प्रसन्न होते हैं और दैत्यराज बलि को वर माँगने को कहते हैं। इसके बदले में बलि रात-दिन भगवान को अपने सामने रहने का वचन माँग लेता है, श्रीविष्णु अपना वचन का पालन करते हुए पाताल लोक में राजा बलि का द्वारपाल बनना स्वीकार का लिया।

कल 14 सितम्बर 2016 दिन बुधवार को प्रदोष है, प्रदोष में व्रत रखकर शिवजी की स्तुति /पूजा /अर्चना करना चाहिए।

15 सितम्बर 2016 दिन गुरूवार को अनन्त चतुर्दशी है , अनन्त चतुर्दशी के दिन नमक का सेवन नहीं करना चाहिए शिवजी की अर्चना करना चाहिए। भुजा में अनन्ता धारण करना चाहिए। 16 दिनपर्यन्त महालक्ष्मी व्रत का पंचम दिन- नित्य प्रति निशीथ काल (मध्य रात्रि) में महालक्ष्मी मन्त्र का 8 माला जप करना चाहिए, महालक्ष्मी मन्त्र है- ” ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः ” इस मन्त्र के जप से आर्थिक कष्टों से मुक्ति मिलती है।। इसके अतिरिक्त श्रीसूक्त और कनकधारा स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। इस 16 दिवसात्मक। निशीथकालीन लक्ष्मी पूजन- जप -पाठ आदि से महान आर्थिक संकट से मुक्ति मिलती है।

डा0 बिपिन पाण्डेय

 

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