अंडरवर्ल्ड ने बिगाड़ा खेल वरना, सचिन की जगह यह शख्सं होता क्रिकेट का भगवान

अंडरवर्ल्डमुंबई। अक्‍सर कहा जाता है कि टैलेंट कभी खराब नहीं जाता, उसे मंज़िल मिल ही जाती है। लेकिन अगर हालात किसी रोशन चिराग को बुझाने पर आमादा हो जाए तो कभी-कभी इंसान को भी हार माननी ही पड़ जाती है। ऐसे ही हालात मुंबई के रहने वाले अनिल गौरव के सामने आए वरना शायद वह क्रिकेट के ख़ुदा होते और सचिन की तुलना सुनील गावस्कर की जगह अनिल गौरव से की जाती।

लेकिन ऐसा हुआ नहीं, अनिल गौरव सिर्फ़ एक आम इंसान बन रह गए। मुंबई के नाला-सोपारा के छोटे से कमरे में ये टैलेंट बंद हो कर रह गया है।

यह कहानी शुरु होती है 1980 से, जब सचिन ने क्रिकेट खेलना शुरु ही किया था। उनके कोच रमाकांत आचरेकर के पंसदीदा खिलाड़ी अनिल के शॉट्स देख सचिन भी वैसा ही बनना चाहता था। इस बेहतरीन बल्लेबाज़ के शॉट्स की गूंज महाराष्ट्र क्रिकेट एसोसिएशन तक तो पहुंचनी ही थी,और पहुँची भी लेकिन सेलेक्शन के दौरान अनिल गौरव अपनी प्रतिभा के अनरूप प्रदर्शन नहीं कर पाए,  पर उन्हें और उनके कोच को पता था कि अभी मौके खत्म नहीं हुए। बस अनिल को एकाग्रता के साथ मेहनत करनी है।

हालात तब बिगड़े जब बड़े भाई के अपराधी होने की सज़ा अनिल को मिली। अनिल का बड़ा भाई अंडरवर्ल्ड के लिए काम करता था। गिरोह का शार्प शूटर अजीत अक्‍सर घर से फ़रार रहता और पुलिस पूछताछ के लिए अनिल को पकड़ कर ले जाती। कई दिनों तक चलने वाली पूछताछ के कारण क्रिकेट के कई अच्छे मौके अनिल के हाथों से निकल गए।

क्रिकेट से उनका ध्यान हटने लगा। समय बदला उन्हें देख कर बैटिंग के गुर सीखने वाले सचिन क्रिकेट के खुदा बन गए और अनिल एक कंपनी के छोटे से मुलाज़िम बन कर रह गए।

अंडरवर्ल्ड

अनिल गौरव भी इस बात को स्‍वीकारते हैं कि क्रिकेट से दूरी उनकी सबसे बड़ी भूल थी। लेकिन हालात ने उन्हें इसके लिए मजबूर कर दिया था। अपने भाई के कारण उन्हें पुलिस ने साल 1994 तक परेशान किया। इसके बाद इतनी उम्र बची नहीं थी कि वो क्रिकेट में वापसी कर पाएं।

जिसे दुनिया में पहचान बनानी थी, वो आज मुंबई के छोटे से इलाके के चंद लोगों के बीच आज भी अपना हुनर दिखा रहा है,और आज हालात को इसके लिए दोष दे रहा है कि  अगर वह भारतीय क्रिकेट टीम में जगह बना पाते, तो शायद भारतीय और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट का इतिहास बहुत अलग होता।

अंडरवर्ल्ड

LIVE TV