संसद में है इस बार होंगी इन10 दिग्गज महिलाओं पर सबकी नजर…

नई दिल्ली : लोकसभा चुनाव 2019 में महिला शक्ति भी देखने को मिली है। करीब-करीब सभी राजनीतिक दलों ने इस बार महिलाओं को टिकट दिया है। इनमें राजनीति के दिग्गज चेहरे भी हैं जो इस बार संसद की शोभा बढ़ाते नजर आ सकते हैं। भोपाल सीट से साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर चुनाव मैदान में हैं। जीतने पर वह पहली बार संसद पहुंचेंगी। पश्चिम बंगाली की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सबसे ज्यादा महिला प्रत्याशी उतारे हैं। अमेठी सीट पर केंद्रीय कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी और कन्नौज सीट पर उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव चुनाव मैदान में हैं। केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल मिर्जापुर से चुनाव मैदान में हैं।

संसद में है इस बार इन10 दिग्गज महिलाओं पर सबकी नजर...

 

स्मृति ईरानी
अमठी सीट से केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी एक बार फिर चुनाव मैदान में हैं। इस सीट पर उनका मुकाबला कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से है। पिछले लोकसभा चुनाव में स्मृति और राहुल के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिली थी। 2014 के लोकसभा चुनाव में दोनों नेताओं के बीच नजदीकी मुकाबला देखने को मिला था और ईरानी करीब एक लाख वोटों के अंतर से हारी थीं लेकिन इस बार उनका पलड़ा भारी बताया जा रहा है। इस सीट के चुनाव नतीजे पर पूरे देश की नजरे लगी हैं। अमेठी की अगर बात करें तो यहां की रियासत का इतिहास एक हजार वर्ष से भी पुराना है। अमेठी एक प्रमुख शहर एवं राजनीतिक दृष्टिकोण से बहुत महत्वपूर्ण लोकसभा क्षेत्र है। यह गांधी परिवार की कर्मभूमि है। पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू उनके नाती संजय गांधी, राजीव गांधी और सोनिया गांधी ने इस जिले का प्रतिनिधित्व किया है। 2004 में राहुल गांधी इस सीट से पहली बार सांसद चुने गए।

डिंपल यादव
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री डिंपल यादव कन्नौज सीट से तीसरी बार उम्मीदवार हैं। इस सीट से अखिलेश यादव जीत की हैट्रिक लगा चुके हैं। अखिलेश की इस सफलता को डिंपल भी दोहराना चाहेंगी लेकिन इस बार उनकी राह आसान नहीं है। कन्नौज सीट जीतने के लिए भाजपा ने अपना एड़ी-चोटी का जोर लगा रखा है। 2014 के लोकसभा चुनाव में डिंपल यादव ‘मोदी लहर’ में भी यहां से जीत दर्ज करने में सफल हो गई थीं। हालांकि, 2014 में भाजपा प्रत्याशी सुब्रत पाठक ने कड़ी टक्कर दी थी। यहां से जीत-हार का फासला महज दो प्रतिशत वोटों का रहा था। कन्नौज लोकसभा सीट सपा की परंपरागत सीट रही है।

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कनिमोझी 
डीएमके के संस्थापक दिवंगत करुणानिधि की बेटी कनिमोझी इस बार थूथुकोछी सीट से चुनाव मैदान में हैं। कनिमोझी अभी राज्यसभा की सदस्य हैं लेकिन इस बार वह लोकसभा के लिए चुनाव लड़ रही हैं। इस सीट पर उनका मुकाबला भाजपा की राज्य इकाई की अध्यक्ष तमिलिसाई सौंदराराजन से है। लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण 18 अप्रैल को इस सीट पर चुनाव हुआ। चुनाव से दो दिन पहले आयकर विभाग के अधिकारियों ने कनिमोझी के घर की तलाशी ली थी। इस छापे के बाद उन्होंने कहा कि सरकार विपक्ष के लोगों को परेशान कर रही है। भाजपा ने एआईएडीएमके पर पूरी तरह से अपनी पकड़ बना ली है। कनिमोझी पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ रही हैं। डीएमके नेता ने 30 करोड़ रुपए की अपनी संपत्ति का खुलासा किया है। कनिमोझी डीएमके के बड़े चेहरे में शुमार होती हैं। यूपीए सरकार के दौरान हुए 2जी घोटाले के आरोप में कनिमोझी को जेल भी जाना पड़ा था।

अनुप्रिया पटेल
केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल मिर्जापुर से चुनाव मैदान में हैं। इस सीट पर अपना दल का दबदबा है। अनुप्रिया एक बार फिर इस सीट से जीत दर्ज करना चाहती हैं।  जातीय समीकरणों पर नजर डालें, तो मिर्जापुर में सबसे अधिक कुर्मी मतदाता हैं। इनकी संख्या तीन लाख से अधिक है। सामान्य मतदाता 23 प्रतिशत से अधिक हैं और ओबीसी मतदाताओं की संख्या लगभग 49 प्रतिशत है। जिसमें लगभग डेढ़ लाख केवट, सवा लाख के करीब मौर्या, लगभग 85 हजार यादव मतदाता हैं। डेढ़ लाख के करीब ब्राह्मण मतदाता हैं। 80 हजार के आसपास क्षत्रिय हैं। एक लाख से अधिक कोल मतदाता हैं। वहीं, ढाई लाख से अधिक अनुसूचित जाति के मतदाता हैं। इसके अलावा तकरीबान 50 हजार पाल हैं, 30 हजार के आसपास सोनकर हैं और प्रजापति, नाई, विश्वकर्मा और मुस्लिम मिलाकर कुल तकरीबन दो लाख मतदाता हैं।

सुप्रिया सुले
राकांपा नेता सुप्रिया सुले बारामती सीट से तीसरी बार चुनाव मैदान में हैं। इस सीट से उनके पिता एवं राकांपा प्रमुख शरद पवार चुनाव लड़ते रहे हैं लेकिन इस बार वह चुनाव नहीं लड़ रहे हैं। समझा जाता शरद पवार की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी सुप्रिया पर है। सुप्रिया ने अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत 2006 में की। साल 2006 में वह पहली बार राज्यसभा की सांसद बनीं। इसके बाद 2009 में लोकसभा के लिए चुनी गईं। इस सीट पर उनका मुकाबला भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की कांचन राहुल कूल से है। इस सीट पर बहुजन आघाडी ने पादलकर नवनाथ को अपना प्रत्याशी बनाया है। बसपा से संजय शिंदे उम्मीदवार हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के बावजूद सुप्रिया इस सीट को जीतने में सफल हुईं। सुप्र‍िया को पिछले चुनाव में 5,21,562 वोट मिले।

हरसिमरत कौर बादल
पंजाब में बादल परिवार की बहु एवं केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल बठिंडा सीट से चुनाव मैदान में हैं। हरसिमरत तीसरी बार इस सीट से अपनी किस्मत आजमा रही हैं। इस सीट पर उनका मुकाबला कांग्रेस के अमरिंदर सिंह राजा वारिंग और आम आदमी पार्टी की बलजिंदर कौर से है। बठिंडा शिअद की पारंपरिक सीट रही है। इस सीट पर वह आठ बार विजयी हुई है। शिअद को उम्मीद है कि यहां की जनता एक बार फिर उसे मौका देगी और हरसिमरत इस सीट पर जीत दर्ज करेंगी। हरसिमरत ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत 2009 के आम चुनावों के साथ की। बता दें कि बठिंडा लोकसभा क्षेत्र में नौ विधानसभा सीट हैं जिनमें से पांच पर आप का कब्जा है तथा दो सीट शिअद और दो सीट कांग्रेस की झोली में हैं। पंजाब की यह हाई प्रोफाइल सीट है और इस सीट पर सबकी नजरें लगी हैं।

प्रज्ञा सिंह ठाकुर
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में इस बार चुनावी मुकाबला दिलचस्प और चुनौतीपूर्ण है। इस हाई प्रोफाइल सीट पर मुकाबला राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और कट्टर हिंदूवादी चेहरे साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर के बीच है। कांग्रेस उम्मीदवार दिग्विजय सिंह और भाजपा प्रत्याशी प्रज्ञा ठाकुर के बीच कांटे का मुकाबला बताया जा रहा है। चुनाव जीतने के लिए दोनों दिग्गज चेहरों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। दिग्विजय सिंह के खिलाफ साध्वी प्रज्ञा को मैदान में उतारकर भाजपा ने एक बड़ा दांव चला है। साध्वी प्रज्ञा की छवि कट्टर हिंदूवादी है। वहीं, साध्वी प्रज्ञा के साथ जो कुछ भी हुआ है, उसके लिए वे दिग्विजय सिंह और पी चिदंबरम को जिम्मेदारी ठहराती रही हैं। ऐसे में यह देखना बड़ा दिलचस्प होगा कि भोपाल में किस तरह के आरोप-प्रत्यारोप लगाए जाते हैं और उसका मतदाताओं पर कितना असर होता है। क्या मतदाता गैस त्रासदी को भूलकर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके दिग्विजय सिंह को अपनाते हैं या साध्वी प्रज्ञा को अपना वोट देकर संसद में भेजते हैं। इसका फैसला अंतिम नतीजों के बाद होगा।

रंजीत रंजन
बिहार के दबंग सांसद पप्पू यादव की पत्नी रंजीत रंजन सुपौल से एक बार फिर चुनाव मैदान में हैं। रंजीता इस सीट पर कांग्रेस की उम्मीदवार हैं जबकि उनके पति पप्पू यादव मधेपुरा से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के बावजूद रंजीत रंजन ने इस सीट पर जीत दर्ज की थी। इस बार इस सीट पर मुकाबला त्रिकोणीय है। इस सीट की अहमियत देखते हुए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी रंजीत के पक्ष में चुनाव प्रचार कर चुके हैं। इस बार रंजीत का मुकाबला एनडीए के उम्मीदवार दिलेश्वर कामत से है। पिछले चुनाव में जद (यू) के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे दिलेश्वर को रंजीत रंजन ने कड़ी शिकस्त दी थी। रंजीत रंजन राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों पर बेबाकी से अपनी राय रखने के लिए जानी जाती हैं। इस लोकसभा चुनाव में सुपौल से 20 उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं लेकिन सीधी लड़ाई रंजीत रंजन और दिलेश्वर कामत के बीच बताई जा रही है।

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सुष्मिता देब
सुष्मिता देब असम के सिलचर सीट से चुनाव मैदान में हैं। अखिल भारतीय महिला कांग्रेस की अध्यक्ष सुष्मिता पीएम मोदी पर कार्रवाई की मांग को लेकर सुर्खियों में आई थीं। सुष्मिता ने आचार संहिता उल्लंघन मामले में पीएम मोदी पर कार्रवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई थी। लोकसभा चुनाव 2019 में सुष्म‍िता देव का मुकाबला भाजपदी के राजदीप रॉय से है। एआईयूडीएफ ने इस बार स‍िलचर से कोई प्रत्याशी नहीं उतारा है जबक‍ि प‍िछले चुनाव में वह तीसरे नंबर की पार्टी थी। इस सीट पर टीएमसी, नेशनल पीपुल्स पार्टी, ऑल इंड‍िया फॉरवर्ड ब्लॉक, सोशल‍िस्ट यून‍िटी सेंटर ऑफ इंड‍िया (कम्युन‍िस्ट) के अलावा 8 न‍िर्दलीय भी चुनाव मैदान में हैं।

दीया कुमारी
जयपुर राजपरिवार की दीया कुमारी भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं। इस सीट पर उनका मुकाबला कांग्रेस के देवकीनंदन गुर्जर से है। दीया कुमारी 2013 से 2018 तक सवाई माधोपुर निर्वाचन क्षेत्र से राजस्थान विधानसभा की सदस्य रहीं। वह जयपुर के अंतिम महाराजा, सवाई भवानी सिंह और पद्मिनी देवी की बेटी और गायत्री देवी की पोती हैं। गायत्री देवी शाही परिवार की पहली महिला सदस्य थीं जिन्होंने 1962 के आम चुनाव में जीत हासिल की थी। इस चुनाव में करीब 80 फीसदी वोट अपने नाम करने के लिए गायत्री देवी का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज किया गया था। उनके पिता भवानी सिंह 10वीं पैराशूट रेजिमेंट में थे। 10 सितंबर 2013 को ये भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुईं।

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