आज ही के दिन भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को दी गई थी फांसी की सजा
नई दिल्ली: आज यानी 23 मार्च को ही 88 साल पहले भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को फांसी दी गई थी। इस दिन को शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी भारत के इन वीरों को याद किया। उन्होंने लिखा, ‘आजादी के अमर सेनानी वीर भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को शहीद दिवस पर शत-शत नमन। भारत माता के इन पराक्रमी सपूतों के त्याग, संघर्ष और आदर्श की कहानी इस देश को हमेशा प्रेरित करती रहेगी। जय हिंद!’
23 मार्च 1931 को लाहौर (पाकिस्तान) में भगत सिंह, सुखदेव थापर और शिवराम राजगुरु को फांसी दी गई थी। भगत सिंह को जब फांसी दी गई, उस समय उनकी उम्र मात्र 23 साल की थी। उन्होंने अपने क्रांतिकारी विचारों और कदमों से अंग्रेजी हकूमत की जड़े हिला दी थीं। असेंबली में बम फेंककर उन्होंने अंग्रेजी हकूमत में खौफ पैदा कर दिया था।
आजादी के अमर सेनानी वीर भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को शहीद दिवस पर शत-शत नमन। भारत माता के इन पराक्रमी सपूतों के त्याग, संघर्ष और आदर्श की कहानी इस देश को हमेशा प्रेरित करती रहेगी। जय हिंद! pic.twitter.com/IpdJqjhR9q
— Narendra Modi (@narendramodi) March 23, 2019
भगत सिंह कहते थे, ‘बम और पिस्तौल से क्रांति नहीं आती, क्रांति की तलवार विचारों की सान पर तेज होती है।’ वे कहते थे, ‘प्रेमी पागल और कवि एक ही चीज से बने होते हैं और देशभक्तों को अक्सर लोग पागल कहते हैं।’ उनका कहना था, ‘व्यक्तियों को कुचलकर भी आप उनके विचार नहीं मार सकते हैं।’
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दिसंबर 1928 में भगत सिंह और राजगुरु ने लाहौर में ब्रिटिश पुलिस अधिकारी जॉन सॉन्डर्स को गोली मारी थी। असेंबली में बम फेंकने के बाद भी ये भागे नहीं थे, जिसके इन्हें फांसी पर लटका दिया गया। भगत सिंह ने जेल में करीब 2 साल रहे। इस दौरान वे लेख लिखकर अपने क्रांतिकारी विचार व्यक्त करते रहे। जेल में रहते हुए उनका अध्ययन बराबर जारी रहा।