महाभारत काल में ही हो गया था ‘परमाणु बम’ का आविष्कार, पहली बार इस देवता ने किया था प्रयोग

परमाणु बमपरमाणु बम की ताकत सीधे दुनिया के अंत से जोड़ी जाती है. परमाणु बम की क्षमता किसी से छुपी नहीं है. द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान दुनिया इसकी मचाई तबाही देख चुकी है. लगबग हर देश के पास यह विनाशकारी हथियार मौजूद है. कुछ देश तो ऐसे भी है जो अक्सर एकदूसरे को परमाणु बम दागने की धमकी देते रहते हैं. लेकिन क्या आपको परमाणु बम के असली रहस्य के बारे में मालूम है? दुनिया के सामने रूबरू होने से पहले ही परमाणु बम हमारे भारत में करीब 5000 साल पहले इस्तेमाल किया जा चुका है.

महाभारत युद्ध में महाप्रलय लाने की क्षमता रखने वाले अस्त्र शस्त्रों और विमान रथों का उल्लेख है. साथ साथ एटामिक तरह के युद्ध का परिचय भी मिलता है. उस वक़्त इन्द्र का वज्र एक तेज चमक के साथ संहारक रूप में प्रकट हुआ था. यही अस्त्र जब दागा गया तो एक विशालकाय अग्नि पुंज के समान उभर अपने लक्ष्य को निगल गया था. कहा जाता है कि इसकी चमक दस हजार सूर्यों के चमक के बराबर थी. धुएँ के साथ अत्यन्त चमकदार ज्वाला आकाश मे उठी थी.

इस भयंकर विस्फोट के बाद कृष्ण और अंधक के समस्त वंश का नाश हो गया था. उनके शव इस प्रकार से जल गए थे की, बाल और नाखून भी अलग होकर गिर गए थे. उस अग्नि की ज्वाला से बचने के लिए योद्धाओं ने स्वयं को जलधाराओं में डुबा लिया था. परंतु वे भी उस विस्फोट के प्रभाव से नही बच पाए थे.

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