सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की गुजरात राज्यसभा चुनाव की याचिका

सुप्रीम कोर्ट ने राज्यसभा चुनाव को लेकर गुजरात कांग्रेस की याचिका को खारिज कर दिया है. कोर्ट ने याचिकाकर्ता गुजरात प्रदेश कांग्रेस के वकील विवेक तंखा से कहा कि निर्वाचन आयोग के सामने याचिका लगाएं. चुनाव प्रक्रिया खत्म होने के बाद ही हम चुनाव याचिका के रूप में सुनवाई करेंगे, लेकिन अभी नहीं.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि रेगुलर वैकेंसी भरने के लिए एकसाथ चुनाव होते हैं, लेकिन आकस्मिक यानी कैजुअल वैकेंसी के लिए एक साथ चुनाव कराने की कोई बाध्यता नहीं है. अब अदालतों के कई आदेशों और फैसलों से एक तीसरी श्रेणी स्टेट्यूटरी की सामने आ गई है. आप इसकी याचिका आयोग के सामने दाखिल करें.

अब दोनों सीटें जीत सकती है बीजेपी

कोर्ट के फैसले के बाद अब बीजेपी दोनों सीटें जीतने में कामयाब हो सकती है. संख्या बल के हिसाब से गुजरात में राज्यसभा का चुनाव जीतने के लिए उम्मीदवार को 61 वोट चाहिए. चुनाव आयोग के नोटिफिकेशन के मुताबिक, विधायक अलग-अलग वोट करेंगे. ऐसे में उन्हें दो बार वोट करने का मौका मिलेगा.  इस तरह बीजेपी विधायक जिनकी संख्या 100 से ज्यादा है वे दो बार वोट करके दोनों उम्मीदवारों को जितवा सकते हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की गुजरात राज्यसभा चुनाव की याचिका

क्या है पूरा मामला

दरअसल केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के गांधीनगर और केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के अमेठी से लोकसभा सदस्य चुने जाने के बाद राज्यसभा सीटें खाली हुई हैं. कांग्रेस विधायक और गुजरात विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष परेशभाई धनानी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर चुनाव आयोग से दोनों सीटों पर साथ-साथ चुनाव कराने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया.

कांग्रेस ने EC के फैसले को बताया था असंवैधानिक

कांग्रेस नेता द्वारा दायर की गई याचिका में कहा गया है कि एक ही दिन में दोनों सीटों पर अलग-अलग चुनाव कराना असंवैधानिक और संविधान की भावना के खिलाफ है. गुजरात से राज्यसभा में खाली हुई दो सीटों पर चुनाव आयोग ने 5 जुलाई को चुनाव कराने की घोषणा की है.

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एक बैलेट पर हो चुनाव तो कांग्रेस के खाते में आएगी एक सीट

गुजरात विधानसभा में बीजेपी के 100 और कांग्रेस के 75 विधायक है. जबकि सात सीटें मौजूदा समय में रिक्त हैं. ऐसे में रिक्त हुई दोनों राज्यसभा सीटों पर एक साथ चुनाव हुए और विधायकों ने सिर्फ एक बार में वोट दिया तो बीजेपी और कांग्रेस दोनों एक-एक सीटें जीत सकते हैं. इसीलिए कांग्रेस दोनों सीटों पर एक साथ चुनाव कराने के पक्ष में है. एक ही बैलेट पर चुनाव से उम्मीदवार एक ही वोट डाल पाएगा इस स्थिति में कांग्रेस एक सीट आसानी से निकाल लेगी क्योंकि उसके अकेले के पास 71 विधायक हैं.

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