
नई दिल्ली। 500 व 1000 के नोट बंद करने के बाद सरकार ने अब इनकम टैक्स को निर्देश दिया है कि वह सभी बैंकों से समन्वय बनाए और उन सभी पर निगरानी रखे जो कि दो लाख या इससे अधिक राशि लेकर बैंक में जमा कराने आएं। आयकर के वरिष्ठ अधिकारी बताते हैं कि इस तरह की बंदिश लगाने का मकसद जाली नोटों पर विराम लगाना था एवं भारत को कैशलेस इकॉनामी की व्यवस्था देना था।
उन्होंने यह भी बताया कि इसका एक और ध्येय भारतीय कर शिकायतों का समाधान करना भी था जो कि सरकार के लिए एक बड़े राजस्व का स्त्रोत साबित होगी। विभाग को प्रत्येक खातेदार का रिकार्ड रखने के लिए कहा गया है।
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साथ ही खातेदार के पैनकार्ड व अन्य डिटेल भी संभालकर रखे जाएंगे। इसके अनुसार विभाग फिर पेनल्टी तय करेगा जो कि अनुपातहीन आय के स्त्रोत पर 30 से 120 प्रतिशत हो सकती है।
भारत में 17 लाख करोड़ रुपए का नगद प्रसार है जिसका 88 प्रतिशत 500 व 1000 रुपए के नोट से भरा है। आधिकारिक आंकड़े बताते हैं कि 40 प्रतिशत कालाधन रीयल एस्टेट से निकलता है जबकि स्टाक मार्केट व सोना चांदी लेनदेन बड़ा स्त्रोत हैं।
भारत में 25 हजार टन सोने की अनुमानित लागत 70 लाख करोड़ है। भारत प्रतिवर्ष 750 से 1000 टन सोने का निर्यात करता है। अनुमान है कि सरकार ने केवल 65 हजार 250 करोड़ रुपए अर्जित किये जिसमें कि कर से प्राप्त राजस्व 30 हजार करोड़ रुपए का है। यह जीडीपी का 0.2 प्रतिशत है।
गृह मंत्रालय द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार सरकार ने करेंसी की समस्या से निपटने के लिए भी प्रयास किए हैं जिसके चलते प्रत्येक एक मिलियन नोट में से 250 नोट फर्जी पाए गए। पिछले साल विवेचना एजेंसियों व रिजर्व बैंक ने 632 हजार के नकली नोट पकड़े थे जिनका मूल्य 30.43 करोड़ रुपए था।
इसके अलावा विभिन्न एजेंसियों ने नकली नोटों की तस्करी के 788 केस दर्ज किए जिनमें कम से कम 816 लोग आरोपी बनाए गए। यह पाया गया कि दिल्ली व उत्तर प्रदेश में इस नकली करेंसी के 43 प्रतिशत मामले पाए गए।