वरिष्ठ विज्ञानी हेमंत को ‘साइंटिस्ट आफ द ईयर’ पुरस्कार, सफेद दाग की दवा से लेकर कर चुके हैं इन छह दवाओं की खोज
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हिमालय पर पाई जाने वाली जड़ी-बूटियों से सफ़ेद दाग की दवा ईजाद करने वाले डीआरडीओ के विज्ञानी को ‘ साईंटिस्ट ऑफ द ईयर अवार्ड’ से सम्मानित किया गया है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने डीआरडीओ की उत्तराखंड के पिथौरागढ़ स्थित रक्षा जैव ऊर्जा अनुसंधान संस्थान {DIBER} में वरिष्ठ विज्ञानी के पद पर कार्यरत डॉ. हेमंत कुमार पांडेय को पुरस्कार प्रदान किया डॉ. पांडेय पिछले 25 साल से हिमालय क्षेत्र में उपलब्ध जड़ी-बूटियों पर शोध कर रहे थे।
DRDO के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि डॉ. हेमंत कुमार की बनाई सफेद दाग की दवा ल्यूकोस्किन आयुर्वेदिक दवा है और इसमें हिमालय क्षेत्र में 10 हजार फुट की ऊंचाई पर पाए जाने वाले औषधीय पौधे विषनाग से तैयार किया गया है। यह दवा खाने और लगाने दोनों स्वरुप में मौजूद है। उनके अनुसार इस दवा के आयुर्वेदिक फार्मूले को DRDO ने एक निजी कंपनी फार्मास्युटिकल को स्थानांतरित किया जो इसे बाजार में बेच रही है। पिछले कुछ सालों में ल्यूकोस्किन सफेद दाग की प्रभावी इलाज के रूप में सामने आई है।
एक अनुमान के अनुसार देश में चार से पांच फीसद आबादी किसी न किसी मात्रा में सफेद दाग की बिमारी से ग्रस्त है। ल्यूकोस्किन के अलावा डॉक्टर हेमंत कुमार पांडेय छह दवाओं एवं हर्बल उत्पादों की खोज कर चुके हैं। इनमें खुजली, दांत दर्द, रेडिएशन से बचाने वाली क्रीम से संबंधित दवाएं शामिल हैं।
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डॉ. हेमंत ने तीन औषधीय उत्पादों की तकनीकी का हस्तांतरण करार चार प्रतिष्ठित हर्बल कंपनी एमिल फार्मास्युटिकल्स दिल्ली, इंटरनेशनल हर्बल कारपोरेशन हरिद्वार, बायोलॉजिकल फार्मास्युटिकल्स कोयट्टम केरल व एसआरबी हेल्थ केयर आनंद गुजरात के साथ किया है। डॉ. पांडेय का कहना है कि इस प्रक्रिया से यह हर्बल उत्पाद आम आदमी तक पहुंचे है।
डॉ.हेमत द्वारा तैयार ल्युकोडर्मा रोधी औषधि को एमिल कंपनी ने ल्यूकोस्किन ट्रेडनेम से बाजार में उतारा है। जिसका लाभ इस बिमारी से ग्रसित लाखों लोग उठा रहे हैं। इस उत्पाद की बिक्री से दो करोड़ तीस लाख रूपये से अधिक की रायल्टी डीआरडीओ को मिल चुकी है।