मंत्रालय में सचिव पद के लिए आया विज्ञापन, मोदी सरकार ने शुरू की नई परंपरा
एजेन्सी/प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केन्द्र सरकार ने नई परंपरा की नींव रख दी है। विधि एवं न्याय मंत्रालय के कानूनी मामलों के सचिव पद के लिए विज्ञापन निकाला है।
विज्ञापन में जिला जज, वकील, सॉलीसीटर जनरल, राज्य के कानून मंत्रालयों के अधिकारियों समेत अन्य को केन्द्रीय कानून मंत्रालय में सचिव बनने का अवसर दिया है। देखना होगा कि सरकार की यह पहल आगे कितनी दूर तक जाती है।
कानून मंत्रालय में यह पहल करके केन्द्र सरकार अन्य मंत्रालयों के लिए भी संदेश दे दिया है कि आगे भी संबंधित मंत्रालय के विषय क्षेत्र में जानकारी रखने वाले बाहरी व्यक्तियों (प्रोफेशनल्स)को भी भारत सरकार का सचिव बनने का अवसर दे सकती है।
कानून मंत्रालय से बतौर संयुक्त सचिव पद से रिटायर हो चुके पीबी सिंह का कहना है कि अभी तक मंत्रालय में भारतीय विधिक सेवा के अधिकारी को ही यह अवसर मिलता था। इसके लिए कोई विज्ञापन की परंपरा नहीं थी, बल्कि वरिष्ठता और अनिवार्य योग्यता को ध्यान में रखकर शीर्ष स्तर पर यह निर्णय लिया जाता है। लेकिन आजादी के बाद पहली बार केन्द्र सरकार ने इस परंपरा को खत्म कर दिया है।
मंत्रालय के एक मौजूदा एडिशनल सेक्रेटरी ने भी इस पर गंभीर आपत्ति जताई है। सूत्र का कहना है कि सरकार के पास शक्ति होती है, वह जो अबतक नहीं हुआ है उसे कर सकती है, लेकिन कानून मंत्रालय समेत अन्य मंत्रालयों के लिए ऐसा किया जाना ठीक नहीं है।मंत्रालय के एक अन्य संयुक्त सचिव ने भी सरकार के इस कदम पर गंभीर आपत्ति जताई है। सूत्र का कहना है कि सरकार के गलत निर्णयों से ही मंत्रालयों की स्थिति दयनीय बनती जा रही है। कानून मंत्रालय के कानूनी मामलों के सचिव पीके मल्होत्रा पिछले दो साल से अधिक समय से सेवा विस्तार पर चल रहे हैं।
सूत्र का कहना है कि मल्होत्रा को लीगल ड्राफ्टिंग का कोई खास अनुभव नहीं था, लेकिन इसके बावजूद उनकी नियुक्ति पहले विधायी मामलों के सचिव के पद पर हुई थी। इसी तरह से मल्होत्रा से पहले ब्रह्म अवतार अग्रवाल कानूनी मामलों के सचिव थे। सरकार ने उन्हें रिटायर होने के समय सेवा विस्तार देकर लगातार दो साल तक सचिव पर नियुक्ति दी थी। यह सरकार है और कुछ भी कर सकती है।
कौन कर सकता है आवेदन
1. विधि स्नातक और कम से कम से कम तीन साल तक जिला जज के पद पर सेवाएं देने वाला
2. भारतीय विधिक सेवा के तौर पर भारत सरकार में तीन साल तक एडिशनल सेक्रेटरी के पद पर तैनात रहने वाला
3. 25 साल तक उच्चतम अथवा उच्च न्यायालय में वकालत करने वाला, जिसके वकालत नामे पर कम से कम 25 अदालती निर्णय आए हों
4..कानूनी अधिकारी जिसने सार्वजनिक अथवा प्रतिष्ठित निजी क्षेत्र, लॉ फर्म में उच्च और जिम्मेदार पद पर रहा हो, कम से कम 25 कानूनी मामलों (संवैधानिक या सेवा क्षेत्र या व्यावसायिक) को देखने का अनुभव हो।
5. वह व्यक्ति भी पात्र है जिसके पास वकील के तौर उच्चतम या उच्च न्यायालय में वकील के तौर पर कम से कम 25 मामले का उपरोक्त क्षेत्र में साझा अनुभव हो।